July 27, 2024 3:45 am
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आध्यात्मिक मार्ग में विश्वास का महत्व क्यों है और सही विश्वास को कैसे उजागर किया जा सकता है?*

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*🚩🌺आध्यात्मिक मार्ग में विश्वास का महत्व क्यों है और सही विश्वास को कैसे उजागर किया जा सकता है?*

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*🚩🌺विश्वास हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, विशेषकर आध्यात्मिक मार्ग पर। स्वामी मुकुन्दानन्द बताते हैं कि यदि हमारी मान्यताएँ ऐसे उचित ज्ञान पर आधारित हो, जो कि अचूक और विश्वसनीय हो, तो हम समझदारी से निर्णय ले सकेंगे और अपने जीवन को मंगलमयी दिशा में ले जाएँगे।*

*🚩🌺विश्वास के बिना कोई नहीं रह सकता । यह मानव व्यक्तित्व का एक अविभाज्य पहलू है। यहां तक कि सांसारिक गतिविधियों में भी विश्वास की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, किसी होटल में भोजन करने के लिए इस विश्वास की आवश्यकता होती है कि भोजन ज़हरीला नहीं है। इसी तरह, बैंक में पैसा जमा करते समय हमें भरोसा होता है कि हमारा धन सुरक्षित रहेगा और बैंक उसे हड़पेगा नहीं । अतः जीवन के हर कदम पर विश्वास की आवश्यकता होती है।*

*🚩🌺हमारे जीवन की दिशा इस बात से निर्धारित होती है कि हम अपनी आस्था कहाँ रखते हैं। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति यह मानता है कि धन महत्वपूर्ण है, वह धन संचय करने में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है। महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा में दृढ़ विश्वास था। उनका विश्वास इतना मजबूत था कि उन्होंने अपनी मान्यताओं के आधार पर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया इसी प्रकार जो लोग भगवद्-प्राप्ति के सर्वोपरि लक्ष्य में गहरी आस्था का पोषण करते हैं, वे भगवान की खोज में अपने भौतिक जीवन का त्याग कर देते हैं। इस प्रकार, हमारा विश्वास हमारे जीवन की दिशा को परिभाषित करता है।*

*🚩🌺आस्था विभिन्न माध्यमों से उत्पन्न होती है। कुछ लोग उस पर विश्वास करते हैं जो प्रत्यक्ष है। उदाहरण के लिए, जब लोग कहते हैं, “मैं ईश्वर में विश्वास नहीं करता क्योंकि मैं उसे देख नहीं सकता।” ऐसे लोगों को भगवान पर भरोसा नहीं होता लेकिन अपनी आंखों पर भरोसा होता है। कुछ लोग परिवार और दोस्तों से राय लेते हैं । कुछ लोग अनुभव के आधार पर विश्वास बनाते हैं। एक छात्र टेनिस खेल में कुछ प्रयास करता है और असफल हो जाता है – वह स्वतः मान लेता है कि वह कभी भी खेल में निपुण नहीं हो सकता और अपनी क्षमताओं पर विश्वास खो देता है। कुछ लोग सुनी-सुनाई बातों से भी विश्वास विकसित कर लेते हैं। ऐसा जर्मनी में नाज़ी शासन के दौरान देखा गया था। उन्होंने राष्ट्र को घोर असत्य पर विश्वास करने के लिए षड़यंत्र रचा, परिणाम स्वरूप उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध का सामना करना पड़ा।*

*🚩🌺उपर्युक्त सभी स्रोतों में अपनी-अपनी कमियाँ हैं क्योंकि उनमें त्रुटियाँ होने की संभावना है। अनुचित स्रोतों पर किया गया विश्वास हमें ग़लत विकल्पों की ओर ले जाता है, अंततः हमारा जीवन भी विपरीत दिशा में आगे बढ़ता है। आध्यात्मिक पथ पर हमारा लक्ष्य होना चाहिए ऐसे विश्वासों का निर्माण करना जो हमारी आध्यात्मिक प्रगति में सहायक हो। तो, हम ऐसे उचित विश्वास का कैसे पोषण करें जो हमारे लिए कल्याणकारी हो एवं हमें ईश्वर की ओर ले जाए?*

*🚩🌺सच्चा विश्वास उचित ज्ञान के माध्यम से विकसित होता है। दिव्य ज्ञान हमें ईश्वर के स्वरूप और हमारे साथ उसके संबंध से अवगत कराता है। संत तुलसीदास रामायण में कहते हैं*

*🚩🌺जानें बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती।*

*“ज्ञान के बिना, विश्वास नहीं हो सकता; विश्वास के बिना प्रेम नहीं बढ़ सकता।”*

*🚩🌺अब जब हम समझ गए हैं कि ज्ञान विश्वास विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तो हमें इसके विश्वसनीय स्रोतों का पता लगाना चाहिए।*

*🚩🌺वेद मार्गदर्शन देते हैं कि हमें उन अचूक स्रोतों पर अपना विश्वास बनाए रखने के लिए जो मानव बुद्धि की त्रुटियों से मुक्त हैं। इनमें प्रमुख हैं वैदिक शास्त्र , पूर्वकालीन असंख्य भक्त (साधु), और भगवत्प्राप्त गुरु (संत), हैं।*

*🚩🌺वेद अपौरुषेय हैं, अर्थात् किसी मनुष्य द्वारा रचित नहीं हैं। इन्हें सृष्टि के आरंभ में स्वयं भगवान द्वारा प्रकट किया गया था। इसलिए उनमें वह ज्ञान समाहित है जो परिपूर्ण है। वही वैदिक ज्ञान भगवद्-प्राप्त संत समझाते हैं जिसके माध्यम से लोगों में सही मान्यताएँ विकसित होती हैं। जो ज्ञान हम अपने गुरु से प्राप्त करते हैं वह भी उत्तम है क्योंकि यह वैदिक ग्रंथों और उनके ज्ञान का विस्तार होता है।*

*🚩🌺हालाँकि गुरु में आस्था रखने के संबंध में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। हमें अंध विश्वास नहीं करना चाहिए। इससे पहले कि हम किसी गुरु पर भरोसा करें, हमें यह पुष्टि करनी चाहिए कि उन्हें परम सत्य का ज्ञान हो गया है, और उनकी शिक्षाएँ वैदिक शास्त्रों और भगवद्-प्राप्त संतों की शिक्षाओं से मेल खाती हैं। एक बार पुष्टि हो जाने पर, अब हम उनकी बातों पर निर्विवाद विश्वास रख सकते हैं क्योंकि वे त्रुटि रहित हैं।*

*🚩🌺जब हम भगवान और गुरु के वचन पर विश्वास करते हैं, वही सच्ची आस्था होती है। क्योंकि यह विश्वास सही स्रोतों पर स्थापित किया गया है, इनमें हमें आंतरिक रूप से बदलने की शक्ति है हमारे आध्यात्मिक यात्रा में।*

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गिरीश
Author: गिरीश

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