चंद्र अरिष्ट शांति के लिए विशेष उपाय
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१👉 जन्म कुंडली में चंद्र यदि स्वयं राशि (कर्क) या वृष राशि का हो तो भगवती गौरी का पूजन करना शुभ रहता है।स्वास्थ्य एवं त्रिविध तापो की अरिष्ट शांति के लिए श्री महामृत्युंजय का सवा लाख जप एवं दशांश हवन, और अमोघ शिव कवच का पाठ करना लाभदायक रहता है।
यदि चंद्र केतु के साथ अथवा चंद्र – शनि की युति हो तो श्री गणेश सहस्त्रनाम एवं गणेश पूजन करना चाहिए।
चंद्रमा यदि बुध युत या स्त्री राशि में हो तो श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ कल्याणप्रद रहता है।
विवाहादि कार्यो में चंद्र-राहु आदि ग्रहों को अशुभ प्रभाव हो तो श्री शिव पार्वती का पूजन एवं अभिषेक एवं पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए।
२👉 १६ सोमवार लगातार व्रत रखकर सायंकाल सफ़ेद वस्तुओं का दान एवं ५ छोटी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
३👉 सोमवार एव पूर्णिमा को प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर चाँदी के बर्तन में कच्ची लस्सी (दूध, गंगा जल, शुद्ध जल) की धारा शिवलिंग पर ॐ नमः शिवाय बोलते हुए चढ़ाना चाहिए।
४👉 प्रत्येक सोमवार बबूल के पेड़ को दूध से सींचना चाहिए।
५👉 चन्द्रमा यदि संतान के लिए निर्बल या अरिष्ट कर रहा हो तो शिव जी की अराधना-अभिषेक करना शुभ होता है।
६👉 विवाहादि के लिए चंद्र बाधक हो तो ३२ पूर्णमाशी के व्रत का अनुष्ठान करना सौभाग्य कारक होता है।
७👉 पूर्णिमा को चंद्रोदय के समय चाँदी या तांबे के बर्तन में शहद मिला हुआ पकवान यदि चंद्र को अर्पण किया जाए तो इससे चंद्र की तृप्ति होती है।इससे प्रसन्न होकर चंद्र देव सभी कष्टों से छुटकारा दिलाते है।
८👉 पूर्णमाशी को चांदी का कड़ा, चाँदी की चैन या सिक्का विधिपूर्वक धारण करना चाहिए।
९👉 स्त्रियों को असली मोतियों की माला विधिपूर्वक अभिमंत्रित करके पूर्णमाशी को गले में धारण करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य एवं दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ होता है।
१०👉 बारह वर्ष तक की आयु के बच्चे की स्वास्थ्य की रक्षा के लिए चाँदी के सिक्के पर चंद्र का बीज मंत्र”ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः” खुदवाकर, इसी मन्त्र से अभिमंत्रित करके गले में विधिपूर्वक पूजा करके धारण करना शुभ होगा।
११👉 चंद्र कृत दोषो की शांति के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग का पाठ प्रतिदिन करना एवं श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भी शांति मिलती है।
१२👉 सोमवार एवं पूर्णमाशी के दिन सफ़ेद चन्दन का तिलक लगना एवं सफ़ेद वस्त्र धारण करना शुभ होता है।
१३👉 मानसिक एवं शारीरिक व्याधियों की शांति के लिए शरद पूर्णिमा की रात्रि को बादाम-मेवा युक्त खीर को रात में चाँद की रौशनी में रख कर दूसरे दिन भगवान् को ह
भोग लगा कर तथा ब्राह्मणों को खिलाने के बाद स्वयं खाने से अनेक रोगों में शांति मिलती है।
१४👉 श्रावण एवं माघ मास में सोमवार के व्रत करना, प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्ची लस्सी एवं बेलपत्र पंचाक्षरी मन्त्र बोलकर चढ़ाना, श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोत्र, शिव चालीस आदि का पाठ करना एवं घी का दीपक जलाना कल्याणकारक होता है।
१५👉 चंद्र की महादशा एव अंतर्दशा में यदि अनिष्टकारक योग हो तो मृत्यु तुल्य कष्ट का भय होता है।इस दोष की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय, शिवसहस्त्रनाम का जाप पाठ एवं चंद्र का दान करना चाहिए।
चंद्र में शनि की अंतर्दशा में मृत्युंजय जप एवं शनि का दान करना चाहिए।
१६👉 चंद्र में शुक्र अथवा सूर्य की अंतर दशा में क्रमशः रूद्र-जप तथा शिव पूजन व् श्वेत वस्त्र, क्षीर आदि का दान करना चाहिए।
१७👉 जन्म कुंडली में चंद्र यदि मातृ दोष कारक है तो हर अमावस विशेषकर सोमवती अमावस को पहले शिव परिवार का पूजन कच्ची लस्सी, बेल पत्र, अक्षत,धुप, दीप आदि मन्त्र सहित करने के बाद पीपल पर भी कच्ची लस्सी में सफ़ेद तिल डालकर चढ़ाना एवं घी का दीपक जलाना शुभकारक होता है।तदोपरांत ब्राह्मण को फल – दूध आदि का दान करें।
१८👉 शुक्ल पक्ष के सोमवार अथवा पूर्णमाशी से शुरू करके प्रत्येक सोमवार और पूर्णमाशी को मन्त्र जप करते हुए पंचगव्य, स्फटिक, मोती, सीप, शंख, बिल्व, कमल, सफ़ेद चन्दन, गौ दूध, गोबर, गौ मूत्र, सफ़ेद तिल, चावल, गंगाजल, एवं सफ़ेद पुष्प जल में डाल कर औषधीय स्नान करने से चंद्र जनित अनेक कष्टो से शांति मिलती है।
नॉट:– औषधि स्नान के दिन साबुन,शैम्पू अन्य सुगन्धित तेल या प्रदार्थ से परहेज करें।