July 27, 2024 7:05 am
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एकांत वास,,,,,,,,,,,,

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,,,,,,,,,,, एकांत वास,,,,,,,,,,,,

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, आशीष आनंद दोनों परम मित्र थे हमेशा साथ में रहते थे एक दिन दोनों आपस में बात चीत कर रहे थे आज प्रसंग आता है क्या कोई व्यक्ति किसी से बोली बिना एक साल तक कमरे में कैद रह सकता है क्या

, आनंद ने कहा क्यों नहीं यदी व्यक्ति चाहे तो सब कुछ सकता है केवल उसका आत्मविश्वास मजबूत चाहिए

, आशीष ने कहा यह असंभव है अकेला व्यक्ति रह ही नहीं सकता है दोनों अपनी-अपनी जिद्द पर अड़े जाते है

आशीष कहा आनंद  तुम 1 साल तक कमरे में बंद रहकर दिखला दो तो मैं तुम्हारे को 10 लाख रुपए दने के लिए तैयार हूं यदि नहीं रह सका तो 10 लाख रुपए तेरे को देने पड़ेंगे

आनंद शर्त को स्वीकार कर लेता है पुराना मकान एक कमरा 12 महीनों का खाने पीने का सामान कुछ पुस्तकें देकर कमरे में बंद कर देता है आशीष आनंद को साथ में एक घंटी भी दे देता है  नहीं रहा जाए तो घंटी बजा दे ना दरवाजा खुल जाएगा

, आनंद कमरे में कैद हो जाता है एक दिन तो आराम से निकल जाता है किताबे पढ़ने के कारण अगले दिन समस्या जाती अब क्या किया जाए समय पास केसे हो उसके मन में खीझ बढ़नी प्रारंभ हो जाती है

वह अपनी आप ही अपने आप को गालियां देना आरंभ कर देता है अपने मस्तक के के सोचना प्रारंभ कर देता है क्यों मैंने ऐसी शर्त लगाई क्या शर्त को तोड़ दूं नहीं कुछ समय का इंतजार करना चाहिए
एक महीना बहुत ही मुश्किल से गुजरता है अचानक आनंद शांत हो जाता है एकाग्रता बढ़नी प्रारंभ हो जाती है बाहर का आकर्षण समाप्त होना प्रारंभ हो जाता है भीतर का आकर्षण बढ़ना प्रारंभ हो जाता है 10 महीने का समय कब निकल गया पता ही नहीं लगा

आशीष इंतजार करता है अब घंटी बजे अब घंटी बजे पर घंटी बजने का नाम ही नहीं लेती है आशीष का व्यापार व्यवसाय भी चौपट हो रहा था क़र्ज़ दारी बढ़ती जा रही थी समझ में नहीं आ रहा था अब क्या किया जाए यदि दो महीना ओर निकल गए तो क्या होगा

आनंद को देने के लिए 10 लाख रुपयें कहां से लाऊंगा यह चिंता उसको और ज्यादा सतानी प्रारंभ कर देती है 2 महीने का समय भी लगभग पूरा हो रहा था 2 दिन बाकी रह गए थे
आशीष की आंखों के सामने अंधेरा छाना प्रारंभ हो जाता है केवल एक दिन बाकी रह गया था अब शर्त पूरी होने में किया तो क्या किया जाए कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था
आनंद अपने रूम से दरवाजे को खोलकर एक दिन पहले ही वहां से गायब हो जाता है पीछे अपनी हाथों से एक लैटर लिखकर छोड़ देता है
12 महीने पूरे हो गए थे आज आशीष ने दरवाजा खोला भीतर उसका मित्र आनंद है वह नजर ही नहीं आ रहा था

केवल उसके हाथ से लिखा हुआ लेटर जरुर उसकी आंखों के सामने आ जाता है वह लेटर को उठाकर पढ़ना प्रारंभ करता है

जिगरी दोस्त आशीष इस 1 वर्ष में मैंने वह चीज प्राप्त कर ली है जो आज तक प्राप्त नहीं हुई थी जिसका में मूल्य नहीं चूका सकता यह तो मेरे लिए अनमोल है

मैंने 12 महीना में एकांत बास का सुख भोगा है जो मेरे को परम शांति प्रदान करने वाला बन गया मैंने यह अनुभव किया है जितनी जरूरतें हमारी कम होती जाती है उतना ही हमारे को आनंद प्राप्त होता जाता है मैंने एकांत एकांत वास में रहकर अपनी भीतर के प्रभु को जागृत कर लिया है इसलिए अब मेरे को भौतिक पदार्थों की जरूरत नहीं है मैं स्वयं आगे बढ़कर अभी तक से शर्त को तोड़ रहा हूं अब मेरे को इस जीवन में तेरे शर्त के पैसों की जरूरत नहीं है

यह पत्र पढ़कर आशीष की आंखों में आंसू की धारा बहनी प्रारंभ हो जाती है क्या संसार में ऐसा भी कोई मित्र होता है जो इस तरह से 10 लाख रुपए को ठोकर मार कर रवाना हो जाए

आशीष को एकांत बास की मेहता का अब पता लग गया था उसके कानों में हर समय एक ही स्वर गुंजायमान होता है शांति प्राप्त करने का एकमात्र सूत्र है

, एकांत वास?

,, एकांत वास??

,,, एकांत वास???

*यह रचना मेरी नहीं है। मुझे अच्छी लगी तो आपके साथ शेयर करने का मन हुआ।🌷*
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गिरीश
Author: गिरीश

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