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,,,,,,,,,,,, कहानी,,,,,,,,,,,,,,
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,,,,,,,, व्यवहारिक ज्ञान,,,,,,,
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, तीन मित्र आपस में मिलकर परिभ्रमण की योजना बनाना प्रारंभ कर देते हैं अपने घर से रवाना होती हैं बहुत दूर जंगल में पहुंच जाते है
, जंगल में एक ऋषि के दर्शन होते हैं उनके चेहरे का ओज तेज प्रभाव देख कर तीनों ही मित्र उनसे आकर्षित होने प्रारंभ हो जाते हैं
, गुरु के चरणों में पहुंचकर अपना सर्वात्मना समर्पण करने के साथ ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना करना प्रारंभ कर देते हैं
, गुरु भी तीनों की विनम्रता से प्रसन्नचित बन जाते हैं ज्ञान देने के लिए तैयार हो जाते हैं गुरु की अनुकंपा से तीनों मित्र बहुत ज्यादा प्रभावित होती है ज्ञान लेने के लिए अपने आपको तैयार करना प्रारंभ कर देते हैं
, गुरु ज्ञान प्रदान करने वाले थे शिष्य ज्ञान ग्रहण करने वाले थे फिर क्या कमी रहने वाले थी गुरु का ज्ञान अपने जीवन में अंगीकार करना प्रारंभ कर देती है
, जब गुरु अपना ज्ञान प्रदान करने के बाद आशीर्वाद भी प्रधान करते हैं जब तीनों मित्र गुरु के सानिध्य से रवाना होने के लिए तैयार होते हैं तब गुरु ने कहा शास्त्री ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान का भी अपने जीवन में प्रयोग करना
, तीनों मित्र आगे रवाना होते है जो ज्ञान प्रदान गुरु ने प्रधान किया था उसके बारे में चर्चा करते रहते हैं दिन भर चलने के बाद जब थक जाते है तब एक जगह पेड़ के नीचे विश्राम करने का निश्चय कर लेते है
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, पेट में भूख भी बहुत जोर से लग रही थी तीनों ने सोचा अब क्या किया जाए उन के पास में गुरु द्वारा प्रदत्त रोटियां पास में थी तीनों ने रोटियों का डब्बा खोला
, डब्बा खुलते ही वो आश्चर्यचकित रह जाते है उस डब्बे में तो केवल एक रोटी थी एक रोटी कोन खाए इसे बांटकर खाने से तो तीनों की भूख मिट ने वाली नहीं है अच्छा हो कोई एक मित्र ही इसे खा ले तो अच्छा रहेगा भूख मिट जाएगी उसकी तो
, तीनों मित्रों में से वह मित्र कौन सा होगा जो एक रोटी खाए यह निर्णय तीनों ही नहीं कर पा रहे थे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करके आ रहे थे आखिर में यह निश्चय हुआ भगवान के भरोसे छोड़ देते है जो भगवान चाहेगा वह रोटी खा लेगा भगवान स्वयं इशारा करेगी जिसके समझ में आ जाएगा वही रोटी खा लेगा
, तीनो मित्र आराम से खुंटी तानकर सो जाते हैं तीनों की आंखें लगी जाती है आराम से खर्राटे भरना प्रारंभ कर देते हैं प्रातकाल उठ़ते है पहले मित्र ने अपनी बात प्रारंभ की मेरे को रात में भगवान के दर्शन हुए देव दूत मेरे को लेकर देव लोक में पहुंच गया में स्वर्ग की सेर करना आरंभ कर देता हूं इतना सुंदर दृश्य मैंने अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा था असीम शांति , सौंदर्य देख कर में तो मंत्रमुग्ध वन गया भ्रमण करने के पश्चात जब में आने के तैयारी था उसी समय मेरे को एक श्वेत वस्त्र धारी संतों से साक्षात्कार करने का अवसर प्राप्त हो जाता है संतो ने मेरे को कहा भक्त रोटी लो इसको प्रसाद समझो अपनी भूख मिटाओ पहले मित्र ने अपनी बात पूरी की
, उसकी बात सुनकर दुसरा मित्र भी अपने आप को रोक नहीं पाता है उसने भी कहा भगवान ने मेरी को भी दर्शन दिए मेरे को भी स्वर्ग का परिभ्रमण करवाया जब मैं वापिस आ रहा था तब मेरे को एक महात्मा जी मिल जाती है उन्होंने मेरे को स्पष्ट निर्देश प्रधान किया तुमने जीवन भर लोगों की भलाई की है इसलिए रोटी पर तेरा ही हक बनता है तू जा और रोटी खा ले
, दोनों मित्रों के बात सुनकर तीसरा मित्र मौन रहता है तुमने भी कोई सपना देखा क्या दोनों मित्रो ने पूछा
मेरे सपने में तो कुछ नहीं आया मैं कहीं पर भी घूमने नहीं गया न ही मुझे कोई महात्मा जी नजर आए लेकिन रात को मेरी जब एक बार नींद टूटती है मैंने उठकर रोटी खा ली
, अरे तुम नहीं क्या किया? क्या अकेला ही रोटी खा गया?? रोटी खाने से पहले हमारे को बताया क्यों नहीं दोनों मित्र गुस्से में आ जाते है
, मैं तुम्हारे को कैसे बताता तुम तो मेरे से हजारों कोश दूर चले गए थे मेरे से, देवलोक की यात्रा करने के लिए तीसरे मित्र ने कहा
अरे कल ही तो हमारे को गुरुजी ने ज्ञान प्रदान किया था अध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान को समझना चाहिए मेरे भगवान मेरे को संकेत दे दिया था भूखे मरने से अच्छा रोटी खाली जाए मैंने वैसा ही किया
, दोनों मित्र देखते रह जाते हैं व्यवहारिक ज्ञान नहीं होने के कारण आध्यात्मिक ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी होना चाहिए
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, 6 फरवरी 2024 बाबनगजा बालाजी धाम शक्तिपीठ तीर्थ कांटा भाजी पश्चिम उड़ीसा बलांगीर
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