July 27, 2024 4:23 am
Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

हमारा ऐप डाउनलोड करें

*आरती, भजन अथवा कीर्तन करते समय तालियां क्यों बजाई जाती है…?????*

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*आरती, भजन अथवा कीर्तन करते समय तालियां क्यों बजाई जाती है…?????*
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
हम अक्सर ही यह देखते है कि जब भी आरती, भजन अथवा कीर्तन होता है तो, उसमें सभी लोग तालियां जरुर बजाते हैं!

लेकिन, हममें से अधिकाँश लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि…. आखिर यह तालियां बजाई क्यों जाती है?????

इसीलिए हम से अधिकाँश लोग बिना कुछ जाने-समझे ही तालियां बजाया करते हैं क्योंकि, हम अपने बचपन से ही अपने बाप-दादाओं को ऐसा करते देखते रहे हैं!

हमारी आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जिस प्रकार व्यक्ति अपने बगल में कोई वस्तु छिपा ले और, यदि दोनों हाथ ऊपर करे तो वह वस्तु नीचे गिर जायेगी।

ठीक उसी प्रकार जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर ताली बजाते है। तो, जन्मो से संचित पाप जो हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखे है, नीचे गिर जाते हैं अर्थात नष्ट होने लगते है!

कहा तो यहाँ तक जाता है कि जब हम संकीर्तन (कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाना) में काफी शक्ति होती है। और, संकीर्तन से हमारे हाथो की रेखाएं तक बदल जाती है!

परन्तु यदि हम आध्यात्मिकता की बात को थोड़ी देर के छोड़ भी दें तो

एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार मनुष्य को हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं, जिनको दबाने पर सम्बंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है… और, धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है।

और, यह जानकार आप सभी को बेहद ख़ुशी मिश्रित आश्चर्य होगा कि इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे सरल तरीका होता है ताली!

असल में ताली दो तीन प्रकार से बजायी जाती है:-

1👉 ताली में बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस प्रकार मारा जाता है कि ….दबाव पूरा हो और आवाज अच्छी आए!

इस प्रकार की ताली से बाएं हथेली के फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे, छोटी आंत व बड़ी आंत तथा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते हैं… और, इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने लगता है!

इस प्रकार की ताली को तब तक बजाना चाहिए जब तक कि, हथेली लाल न हो जाए!

इस प्रकार की ताली कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस लेने में तकलीफ जैसे रोगों में लाभ पहुंचाती है

2 थप्पी ताली👉 ताली में दोनों हाथों के अंगूठा-अंगूठे से कनिष्का-कनिष्का से तर्जनी-तर्जनी से यानी कि सभी अंगुलियां अपने समानांतर दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हो, हथेली-हथेली पर पड़ती हो.!

इस प्रकार की ताली की आवाज बहुत तेज व दूर तक जाती है!

एवं, इस प्रकार की ताली कान, आंख, कंधे, मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव डालती है!

इस ताली का सर्वाधिक लाभ फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क, स्पोगोलाइसिस, आंखों की कमजोरी में पहुंचता है!

एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस ताली को भी तब तक बजाया जाए जब तक कि हथेली लाल न हो जाए!

इस ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते हैं तथा, यह ताली सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय करने में मदद करती है!

यदि इस ताली को तेज व लम्बा बजाया जाता है तो शरीर में पसीना आने लगता है …जिससे कि, शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

और तो और ताली बजाने से न सिर्फ रोगों से रक्षा होती है, बल्कि कई रोगों का इलाज भी हो जाता है!

जिस तरह कोई ताला खोलने के लिए चाबी की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह कई रोगों को दूर करने में यह ताली ना सिर्फ चाभी का ही काम नहीं करती है बल्कि, कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे “”मास्टर चाभी”” भी कहा जा सकता है।

क्योंकि हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए जा सकते हैं एवं, स्वास्थ्य की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है!

श्रीरामकृष्ण देव कहा करते थे, ‘ताली बजाकर प्रातः काल और सायं काल हरिनाम भजा करो। ऐसा करने से सब पाप दूर हो जाएंगे। जैसे पेड़ के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से पेड़ पर की सब चिड़ियां उड़ जाती हैं, वैसे ही ताली बजाकर हरिनाम लेने से देहरूपी वृक्ष से सब अविद्यारूपी चिड़ियां उड़ जाती हैं।

प्राचीन काल से मंदिरों में पूजा, आरती, भजन-कीर्तन आदि में समवेतु रूप से ताली बजाने की परंपरा रही है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का एक अत्यंत उत्कृष्ट साधन है। चिकित्सकों का कहना है कि हमारे हाथों में एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स अधिक होते हैं। ताली बजाने के दौरान हथेलियों के एक्यूप्रेशर केंद्रों पर अच्छा दबाव पड़ता है। जिससे शरीर की अनेक बीमारियों में लाभ पहुंचता है और शरीर निरोगी बनता है, अतः ताली बजाना एक उत्कृष्ट व्यायाम है। इससे शरीर की निष्क्रियता खत्म होकर क्रियाशीलता बढ़ती है। रक्त संचार की रुकावट दूर होकर अंग ठीक तरह से कार्य करने लगते हैं। रक्त का शुद्धिकरण बढ़ जाता है और हृदय रोग, रक्त नलिकाओं में रक्त का थक्का बनना रुकता है। फेफड़ों की बीमारियां दूर होती हैं। रक्त के श्वेत रक्तकण सक्षम तथा सशक्त बनने के कारण शरीर में चुस्ती, फुर्ती तथा ताजगी का एहसास होता है। रक्त में लाल रक्तकणों की कमी दूर होकर वृद्धि होती है और स्वास्थ्य सुधरता है। अतः पूजा-कीर्तन में तालबद्ध तरीके से अपनी पूरी शक्ति से ताली बजाएं और रोगों को दूर भगाएं। इससे तन्मय होने और ध्यान लगाने में भी सुविधा होगी।

इस तरह ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है और, यदि प्रतिदिन यदि नियमित रूप स क्योंकि हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए जा सकते हैं एवं, स्वास्थ्य की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है!

इस तरह ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है।
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
यह रचना मेरी नहीं है मगर मुझे अच्छी लगी तो आपके साथ शेयर करने का मन हुआ।🙏🏻

गिरीश
Author: गिरीश

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

[wonderplugin_slider id=1]

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

error: Content is protected !!
Skip to content