December 11, 2024 8:35 am
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मकर संक्रांति 2024: 14 या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति, जानते हैं सही तिथि

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मकर संक्रांति 2024: 14 या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति, जानते हैं सही तिथि

मकर संक्रांति को लेकर इस बार लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यह 14 जनवरी या 15 जनवरी को होगा। आइए जानते हैं कि वर्ष 2024 में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है। यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। देश भर में इस त्यौहार को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हालाँकि, इसके विपरीत यह त्यौहार चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों के आधार पर मनाए जाने वाले अन्य हिंदू त्योहारों में से एक है। चंद्र कैलेंडर के बजाय सौर कैलेंडर के अनुसार गणना की जाती है। इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं जबकि रातें छोटी होने लगती हैं, यह पर्व एक संक्रांति पर्व है। इस दिन दिन और रात बराबर होने से वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति को लेकर इस बार लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यह 14 जनवरी या 15 जनवरी को होगा। आइए जानते हैं कि वर्ष 2024 में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी।

15 जनवरी को होगी संक्रांति, यह है वजह
ज्योतिषविदों एवं पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस अवसर पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा।

मकर संक्रांति पुण्यकाल – प्रातः 07:15 मिनट से सायं 06: 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल -प्रातः 07:15 मिनट से प्रातः 09: 06 मिनट तक
ज्योतिषाचार्य रघुनाथ प्रसाद शास्त्री ने बताया कि
मकर संक्रांति की पूजा विधि
मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। आइए जानते हैं किस विधि से करें मकर संक्रांति पर पूजा।

पूजा करने के लिए सबसे पहले उठकर साफ सफाई कर लें।
इसके बाद अगर संभव हो तो आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान करें यदि ऐसा न कर पाएं तो घर में ही गंगाजल मिलकर स्नान कर लें।
आचमन करके खुद को शुद्ध कर लें।
इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, तो पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
इसके बाद सूर्य चालीसा पढ़े और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
अंत में आरती करें और दान करें।
इस दिन दान करने का खास महत्व माना गया है।

रिपोर्ट प्रधान सम्पादक रघुनाथ प्रसाद शास्त्री

आर पी एस न्यूज़
Author: आर पी एस न्यूज़

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