October 23, 2024 8:57 pm
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दुनिया मेरे आगे: मन शांत होगा तो निर्णय लेने की क्षमता भी दृढ़ होगी।

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*🚩🌺दुनिया मेरे आगे: मन शांत होगा तो निर्णय लेने की क्षमता भी दृढ़ होगी।*

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🚩🌺अमूर्त विचारों को मूर्त रूप देने, अपनी रुचियां परिष्कृत करने और मनन के लिए अपने एक कोने की जरूरत बहुत सारे लोगों को महसूस होती है, जहां संसार से कुछ देर के लिए दूर होकर आत्मिक उन्नति का आधार ढूंढ़ा और अपने मन को शांत, उसकी थकावट दूर की जा सके।*

*🚩🌺संसार गतिमान है और उससे भी अधिक गतिमान है मानव का मन, जो विविध क्रियाकलापों में, अलग-अलग संदर्भों में उपजे विचारों में संलग्न रहता है। एक पल में एक स्थान पर है और दूसरे ही पल सुदूर यात्रा कर आता है। इस यात्रा के दौरान वह न जाने कितने ही ताने-बाने बुन लेता है। जबकि किसी छोटी-सी बात पर तो कई बार बड़ी-बड़ी बातों से प्रभावहीन रहता है।*

*🚩🌺सूर्य की पहली किरण निकलने से लेकर रात्रि में नींद में डूब जाने से पहले तक मन न जाने कितनी ही घटनाओं और वास्तविक वार्ताओं में सम्मिलित होता है और उनका प्रभाव या कुप्रभाव भी झेलता है। कई बार इन दोनों ही परिणामों का सामना तो लोग करते हैं, मगर इनके कारणों या स्रोत पर गौर करना या तो जरूरी नहीं समझते या फिर कारण खोज नहीं पाते। नतीजतन, हर अगली बार वैसी ही परिस्थितियां होने पर परिणाम भी लगभग वही होता है।*

*🚩🌺मन मनुष्य की जीवनशैली और व्यवहार को निर्धारित करता है। मन अच्छा और शांत होगा तो निर्णय लेने की क्षमता भी दृढ़ होगी। उचित और अनुचित का विचार कर, उसमें फर्क कर पाना और उसके मुताबिक निर्णय लेना आसान हो सकेगा। मन की मजबूती और निर्मलता व्यक्ति के प्रभामंडल पर भी अपना असर डालती है, जिसके कारण किसी व्यक्ति के ‘औरा’ यानी आभामंडल के संपर्क में आने वाले व्यक्ति उसके प्रति आकर्षण या विकर्षण का अनुभव कर पाते हैं। ऐसे उदाहरण अक्सर देखने को मिल जा सकते हैं, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति, दृढ़ विचार के साथ भरोसे से भरा होता है और उसकी बातें अन्य लोगों पर गहरा प्रभाव डालती हैं।*

*🚩🌺सवाल है कि मन को स्वस्थ और सकारात्मक कैसे रखा जाए? अच्छा अध्ययन और चिंतन मन को सबल बनाता है और इसके लिए जरूरी है कि मनुष्य के पास एक स्थान, एक कोना उसका अपना हो, ताकि उस स्थान पर वह शांत मन से बैठ सके, बिना किसी अन्य बातों की फिक्र किए… अपने विचार में किसी भी अन्य के दखल से अलग। ऐसी जगह, जहां व्यक्ति की अपनी जरूरत के मुताबिक तय वक्त में अनावश्यक ही कोई उसके एकांत में प्रवेश न कर सके।*

*🚩🌺जरूरी नहीं कि इस तरह का कोना किसी विशेष स्थान पर हो। यह कोना कहीं भी हो सकता है, घर में, किसी तालाब किनारे, किसी बाग में। जहां भी हृदय सारी आशंकाओं या बाधाओं से मुक्त होकर अपने आप से बात कर सके। ऐसी ही जगह मन को सबल बनाने के लिए उचित है। अपने उस कोने में व्यक्ति आत्मचिंतन करे, किताबें पढ़े या फिर खुद से बातें करे। अपने दिमाग में आए प्रश्नों या समस्याओं पर विचार करे, कोई समाधान निकाले।*

*🚩🌺या फिर अपने अच्छे बुरे पलों को याद करे, उससे मिले सबक के आधार पर जीवन में आगे के सफर की दिशा तय करे। हालांकि कुछ भी करना व्यक्ति की मन:स्थिति और इच्छा पर निर्भर है, मगर उस कोने में व्यक्ति खुद के साथ थोड़ा ऐसा समय व्यतीत कर पाता है, जो उसे परिपक्व बनाने में सहायता करता है, बशर्ते उसका मस्तिष्क स्वस्थ हो। ऐसी स्थिति में वह अपने लिए ही एक अच्छा सलाहकार बन कर अपनी या अपने मन की मदद कर सकता है।*

*🚩🌺जब व्यक्ति का स्वयं का एक कोना होता है, तब वह उस एकांत में खुद को पूर्ण रूप से प्रकट या अभिव्यक्त कर पाता है। किसी मौके पर दबाई गई भावनाओं के बरक्स अकेले में वह खुलकर रो या चिल्ला सकता है, ताकि मन का गुबार निकल जाए और हल्का होकर नई राह की तलाश की जा सके। यह छिपा नहीं है कि अपने परिजनों या मित्रों के सामने किसी भी कारणवश व्यक्ति कई बार अपनी भावनाएं उजागर नहीं कर पाता, लेकिन यह मनोविज्ञान का तंत्र है कि वे भावनाएं मन में फांस बनकर चुभती हैं, जिसका असर संबंधों और व्यवहार पर भी पड़ता है।*

*🚩🌺जबकि अपने कोने में व्यक्ति आत्मविश्लेषण कर पाता है, क्योंकि यहां उसे कोई भय नहीं होता कि इस रूप में देखकर कोई उसके विषय में क्या सोचेगा! ऐसे कोने में अगर किसी बात पर उसकी आंखें भर जाएं तो उसे अपने आंसू किसी से छिपाने की आवश्यकता नहीं होती।*

*🚩🌺शुरुआत में दुख, क्रोध, विद्वेष के भाव बादलों की तरह उमड़ते हैं, लेकिन कुछ समय के बाद जब वे पूर्ण रूप से बरस चुके होते हैं और मन हल्का अनुभव करने लगता है, तब बुद्धि जाग्रत होती है और मन को आलंबन देती है। विवेक शक्ति देता है निर्णय लेने और उचित-अनुचित के अंतर को समझने की।*

*🚩🌺व्यक्ति का अपना कोना उसका सृजन स्थल होता है जो उसका सर्वांगीण विकास करने में सहायक होता है। व्यक्तित्व विकास और मानसिक विकास के साथ-साथ व्यक्ति का सामाजिक विकास करने में भी उसका अपना कोना सहायता करता है। अमूर्त विचारों को मूर्त रूप देने, अपनी रुचियां परिष्कृत करने और मनन के लिए अपने एक कोने की जरूरत बहुत सारे लोगों को महसूस होती है, जहां संसार से कुछ देर के लिए दूर होकर आत्मिक उन्नति का आधार ढूंढ़ा और अपने मन को शांत, उसकी थकावट दूर की जा सके।*

*🚩🌺अगर किसी के पास वह कोना है, तो बेहतर। अगर नहीं है तो इसे खोजने की जरूरत है और अपने क्लांत मन को सुकून से भरने का प्रयास हर रोज करना चाहिए। व्यक्ति का कोना मात्र एक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक ऊर्जा केंद्र है जो उसे ऊर्जावान रख कर जीवन की विभिन्न परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने का साहस देता है।*

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गिरीश
Author: गिरीश

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