October 3, 2024 2:03 pm
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सुन्दरकाण्ड का पाठ कैसे अधिक लाभप्रद हो ?

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सुन्दरकाण्ड का पाठ कैसे अधिक लाभप्रद हो ?
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हनुमान जी और उनके सुन्दरकाण्ड ,हनुमान चालीसा ,बाहुक ,अष्टक आदि का पाठ बहुधा हिन्दू घरों में होता है या अक्सर सूना जाता है। हनुमान जी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं और यह अमर और चिरंजीवी हैं । इनकी आराधना यदि नियमानुसार और श्रद्धा भक्ति से की जाय तो निश्चित लाभ होता ही होता है। कुछ सावधानियां और विशेष जानकारियाँ हम अपने श्रोताओं /पाठकों को इस सम्बन्ध में देने जा रहे हैं कि कैसे हनुमान जी की आराधना और सुन्दरकाण्ड का पाठ आपके लिए अधिकतम लाभप्रद हो सकता है। ऐसा क्या क्या करना चाहिए की सुन्दरकाण्ड से आपके सभी समस्याओं का निराकरण हो जाय और आपको खुशहाली प्राप्त हो ,आपका पाठ असफल न हो।

हनुमान आराधना में सुन्दर काण्ड के पाठ को सदैव से विशेष स्थान दिया जाता है क्योकि इस खंड में हनुमान की अतुलनीय बुद्धि, बल, विवेक दिखाई देती है। रामचरित मानस भगवान् राम के जीवन पर आधारित है और इसमें सुन्दर काण्ड खंड भगवान हनुमान से विशेष रूप से जुडा है। सुन्दरकाण्ड के पाठ से हनुमान आराधना का विशेष और अद्वितीय लाभ होता है। इसके पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और हनुमान जी पाठकर्ता की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सुन्दरकाण्ड का नित्यप्रति पाठ करना हर प्रकार से लाभ दायक होता है, इसके अनंत लाभ है, इस पाठ को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक लगा कर करने से अधिक फल प्राप्त होता है, सुन्दरकाण्ड एक ऐसा पाठ है जो की हर प्रकार की बाधा और परेशानियों को खतम कर देने में पूर्णतः समर्थ है। आप इसे रोज नहीं कर सकते हैं तो आप मंगलवार -मंगलवार इसे कर सकते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखना बहुत जरुरी है के आपका पाठ जब तक चले न तो मांस मदिरा का सेवन करे न ही अपने घर में मांस मदिरा लाये जब तक पाठ हो आपको ब्रह्मचर्य और सदाचार का पालन करना चाहिए ,क्योकि हनुमान जी परम सात्विक देवता हैं।

ज्योतिष के अनुसार भी सुन्दरकाण्ड एक अचूक उपाय है ज्योतिषो के द्वारा उपाय के तौर पर अक्सर बताया जाता है, उन लोगो के लिए ये विशेष फलदाई होता है जिनकी जन्म कुंडली में – मंगल नीच का है, पाप ग्रहों से पीड़ित है, पाप ग्रहों से युक्त है या उनकी दृष्टि से दूषित हो रहा है, मंगल में अगर बल बहुत कम हो, अगर जातक के शरीर में रक्त विकार हो, अगर आत्मविश्वास की बहुत कमी हो, अगर मंगल बहुत ही क्रूर हो तो भी ये पाठ आपको निश्चित राहत देगा। अगर लगन में राहू स्थित हो, लगन पर राहू या केतु की दृष्टि हो, लगन शनि या मंगल के दुष्प्रभावो से पीड़ित हो, मंगल अगर वक्री हो या गोचर में मंगल के भ्रमण से अगर कोई कष्ट आ रहे हो, शनि की सादे साती या ढैय्या से आप परेशान हो, इत्यादि। इन सभी योगो में सुन्दरकाण्ड का पाठ अचूक फल दायक माना जाता है,,इसके अतिरिक्त सुन्दरकाण्ड के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन और नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है ,जिससे बहुविध खुशहाली आती है।

सुन्दरकाण्ड के पाठ से लाभ
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👉 सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से विद्यार्थियों को विशेष लाभ मिलता है, ये आत्मविश्वास में बढोतरी करता है और परीक्षा में अच्छे अंक लाने में मददगार होता है, बुद्धि कुशाग्र होती है।

👉 इसका पाठ मन को शांति और सुकून देता है मानसिक परेशानियों और व्याधियो से ये छुटकारा दिलवाने में कारगर है।

👉 जिन लोगो को गृह कलेश की समस्या है इस पाठ से उनको विशेष फल मिलते है।

👉 अगर घर का मुखिया इसका पाठ घर में रोज करता है तो घर का वातावरण अच्छा रहता है।

👉 घर में या अपने आप में कोई भी नकारात्मक शक्ति को दूर करने का ये अचूक उपाय है।

👉 अगर आप सुनसान जगह पर रहते है और किसी अनहोनी का डर लगा रहता हो तो उस स्थान या घर पर इसका रोज पाठ करने से हर प्रकार की बाधा से मुक्ति मिलती है और आत्मबल बढ़ता है।

👉 जिनको बुरे सपने आते हो रात को अनावश्यक डर लगता हो इसके पाठ निश्चित से आराम मिलेगा।

👉 जो लोग क़र्ज़ से परेशान है उनको ये पाठ शांति भी देता है और क़र्ज़ मुक्ति में सहायक भी होता है।

👉 जिस घर में बच्चे माँ पिता जी के संस्कार को भूल चुके हो, गलत संगत में लग गए हो और माँ पिता जी का अनादर करते हो वहा भी ये पाठ निश्चित लाभकारी होता है।

👉 किसी भी प्रकार का मानसिक या शारीरिक रोग भले क्यों न हो इसका पाठ लाभकारी होता है।

👉 भूत प्रेत की व्याधि भी इस पाठ को करने से स्वतः ही दूर हो जाती है।

👉 नौकरी में प्रमोशन में भी ये पाठ विशेष फलदाई होता है।

👉 घर का कोई भी सदस्य घर से बाहर हो आपको उसकी कोई जानकारी मिल पा रही हो या न भी मिल पा रही हो तो भी आप अगर इसका पाठ करते है तो सम्बंधित व्यक्ति की निश्चित ही रक्षा होगी, और आपको चिंता से भी राहत मिलेगी।

इसके अलावा ऐसे बहुत से लाभ है जो सुन्दरकाण्ड से मिलते है आप सभी इस पाठ का लाभ उठा सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस कर सकते हैं , जीवन सार्थक बना सकते हैं। आपको यदि कभी सुन्दरकाण्ड से कम लाभ मिलता है या कभी कभी लाभ नहीं मिलता तो इसमें आप द्वारा कोई त्रुटी की भूमिका हो सकती है या सावधानियों में कमी हो सकती है या नियमों की अनदेखी हो सकती है। ध्यान दीजिये हनुमान जी एक अति सौम्य ,सकारात्मक और उग्र ,पराक्रमी शक्ति हैं अतः इनकी उपासना में नियम और सावधानियां अवश्य होनी चाहिए } हनुमान उपासना सम्बन्धी कुछ सावधानिय और नियम हम बता रहे हैं और आपको सुन्दर काण्ड से सर्वमनोकामना पूर्ती का प्रयोग भी बता रहे हैं।

यद्यपि सुन्दरकाण्ड पाठ से सुख -समृद्धि -शान्ति प्राप्त होती है और नकारात्मक प्रभावों ,संकटों का नाश होता है ,सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं किन्तु किसी एक समस्या या विषय पर पूर्ण और निश्चित सफलता हेतु कुछ विशेष नियम और प्रयोग हैं जिनसे किसी समस्या का निश्चित निराकरण किया जा सकता है। सुन्दरकाण्ड से सभी कामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं किन्तु विशेष उद्देश्य के लिए हनुमान जी को लक्ष्य दिखाना पड़ता है। ध्यान दीजिये जब तुलसीदास जी को बाहु पीड़ा ने परेशान किया तो उन्होंने हनुमान आराधना के लिए हनुमान बाहुक की रचना की जबकि वह स्वयं सुन्दरकाण्ड आदि के रचयिता थे। इसी प्रकार सुन्दरकाण्ड से विषय विशेष की कामना हेतु हनुमान जी को विषय या समस्या याद दिलाने के लिए सुन्दरकाण्ड के पाठ को विशेष मंत्र श्लोक से संपुटित करने पर हनुमान जी की ऊर्जा लक्ष्य पर केन्द्रित होती है। सुन्दरकाण्ड का पाठ हनुमान जी का गुणगान है जिसमे सम्पुटित श्लोक या मंत्र का प्रयोग उन्हें विशेष दिशा देता है।

जैसे दोहा ,चौपाई और श्लोक के बीच यदि इस श्लोक [मंत्र ] – का प्रयोग किया जाय –

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः ,एकमेव त्वयाकार्यमस्मद्वैरी विनाशनम या –

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः ,एवमेव त्वयाकार्यमस्मद्वैरी विनाशनम या

“सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥”

या

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

इससे हनुमान जी की उर्जा शत्रु विनाश के लिए विशेष कार्य करेगी यद्यपि अन्य लाभ भी अपने आप होंगे। इस तरह के कार्य विशेष के लिए उपयुक्त श्लोक या मंत्र हर चौपाई , दोहे और अन्य श्लोकों के बीच लगाकर सुन्दरकाण्ड को संपुटित किया जाता है और वह कार्य विशेष की सफलता निश्चित हो जाती है। अब सबसे महत्वपूर्ण जानकारी हम आपको देना चाहेंगे जिसके बारे में शायद आपने सोचा तक न हो। आप अपने पाठ के पूर्व संकल्प जरुर से लें कि आप अमुक कार्य विशेष की सिद्धि के लिए सुन्दरकाण्ड का पाठ करने जा रहे हैं हनुमान जी आपकी मनोकामना पूर्ण करें। बिना संकल्प लिए किया हुआ पाठ निष्काम संकल्प के अंतर्गत अथवा मात्र सामान्य स्मरण के अंतर्गत आ जाता है जिससे उद्देश्य विशेष की ओर ऊर्जा न लगकर पूर्ण लाभ नहीं देती अतः हाथ में जल अक्षत पुष्प लेकर संकल्प करके पाठ करें।

अब इससे भी महत्वपूर्ण बात आप किसी अन्य से पाठ कराने की बजाय या किसी अन्य का पाठ सुनने की बजाय खुद पाठ करें किसी अन्य का पाठ सुनने से आपमें भक्ति भले जगे पर इससे बहुत अधिक लाभ नहीं होता इसका लाभ तभी है जब आप खुद पाठ करने में सक्षम न हों तो किसी अन्य का पाठ सुनने से आपको कुछ लाभ हो जाएगा। आप द्वारा बोला गया हर शब्द अमर हो जाता है और करोड़ों वर्ष बाद भी उसे सुना जा सकता है। आज के ही विज्ञान ने इसे प्रमाणित कर दिया है और ऐसे यन्त्र तक बन गए हैं जिनसे लाखों वर्ष पूर्व बोले गए महापुरुषों आदि के वाक्य पकडे और यथावत सुने जा रहे हैं। तो आप द्वारा बोला गया हर शब्द ब्रह्माण्ड में प्रसारित हो जाता है और यह जब उस सम्बन्धित शक्ति या ऊर्जा के सम्पर्क में आता है तो वह ऊर्जा बोलने वाले की ओर आकर्षित होती है। इसी प्रकार जब आप खुद पाठ करते हैं तो हनुमान की ऊर्जा आपकी ओर खिचती है और आपसे जुडकर लाभ देती है ,बस पाठ बीच में छोड़ें नहीं और लगातार कुछ बार निश्चित दिन और समय तक करते रहें। एक बात और जब आप खुद पाठ करते हैं तभी हनुमान की ऊर्जा आपके शरीर के सम्बन्धित चक्र से जुडती है और आपको स्थायी लाभ होता है ,किसी अन्य का पाठ सुनने से ऐसा नहीं होता क्योंकि पाठ करने पर होने वाला ध्वनी कम्पन जब आपका होगा तभी आपके चक्र आंदोलित हो शशक्त होंगे। अतः खुद पाठ करें। कुछ बातें और ध्यान दें ,आप हनुमान की उपासना या सुन्दरकाण्ड का पाठ जिस दिन करें उस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें ,मांस -मदिरा -अंडा ,तामसिक भोजन ,गाली -गलौज ,दुष्ट संगत से दूर रहें तथा सिन्दूर का तिलक जरुर करें। आप मन में अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहें और पूर्ण श्रद्धा हनुमान जी के प्रति रखते हुए पूरा विश्वास रखें की आपका कार्य अवश्य होगा और आप पर हनुमान जी की कृपा अवश्य होगी। आपकी सफलता बढ़ जायेगी।

 

गिरीश
Author: गिरीश

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