July 27, 2024 4:02 am
Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

हमारा ऐप डाउनलोड करें

शरीर के 7 सातो चक्र कैसे जगाए, हर चक्र जागृत होने पर मनुष्य को क्या अनुभव लाभ मिलते है?

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

शरीर के 7 सातो चक्र कैसे जगाए, हर चक्र जागृत होने पर मनुष्य को क्या अनुभव लाभ मिलते है?

धर्म_और_ध्यान: शरीर के सात चक्रों को जागृत करने का जरिया है मेडिटेशन, हर चक्र के जागने से मिलती है खास शक्ति।

मूलाधार से सहस्रार चक्र तक मानव शरीर में कुल सात चक्र होते है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करके जगाया जाता है इन अंदरूनी शक्तियो को

भौतिक सुख से आध्यात्मिक दर्शन तक सारे लाभ मिलने लगते हैं इनसे हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्त्रार। कोई व्यक्ति यदि नियम अनुशासन से प्रयास करे हर दिन एक विशेष चक्र को जाग्रत किया जा सकता है, जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। हम अगर इस ऊर्जा का ठीक प्रबंधन कर लें तो असाधारण सफलता भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। सामान्यत: हमारी सारी ऊर्जा मूलाधार चक्र (कामेंद्रियों के ऊपर) होती है। योगीजन ध्यान के माध्यम से मूलाधार में स्थित अपनी ऊर्जा को सहस्त्रार तक लाते हैं। सांसों के नियंत्रण और ध्यान से इस ऊर्जा को ऊपर खींचा जा सकता है। जैसे-जैसे हम ऊर्जा को एक-एक चक्र से ऊपर उठाते जाते हैं, हमारे व्यक्तित्व में चमत्कारी परिवर्तन दिखने लगते हैं।

1️⃣ मूलाधार चक्र का स्वरूप।

मूलाधार चक्र – शक्ति का केंद्र

मूलाधार या मूल चक्र प्रवृत्ति, सुरक्षा, अस्तित्व और मानव की मौलिक क्षमता से संबंधित है। यह केंद्र गुप्तांग और गुदा के बीच अवस्थित होता है। हालांकि यहां कोई अंत:स्रावी अंग नहीं होता, कहा जाता है कि यह जनेनद्रिय और अधिवृक्क मज्जा से जुड़ा होता है और अस्तित्व जब खतरे में होता है तो मरने या मारने का दायित्व इसी का होता है। इस क्षेत्र में एक मांसपेशी होती है, जो यौन क्रिया में स्खलन को नियंत्रित करती है। शुक्राणु और डिंब के बीच एक समानांतर रूपरेखा होती है, जहां जनन संहिता और कुंडलिनी कुंडली बना कर रहता है। मूलाधार का प्रतीक लाल रंग और चार पंखुडिय़ों वाला कमल है। इसका मुख्य विषय काम—वासना, लालसा और सनक में निहित है। शारीरिक रूप से मूलाधार काम-वासना को, मानसिक रूप से स्थायित्व को, भावनात्मक रूप से इंद्रिय सुख को और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।

कैसी होती है इसकी प्रकृति?

काम प्रधान/ सिर्फ देह ही दिखती है।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

हम वासना से घिरे रहते हैं।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

टीमवर्क और टीम भावना बढ़ेगी।

2️⃣ स्वाधिष्ठान चक्र का स्वरूप।

स्वाधिष्ठान च्रक – कमिटमेंट और साहस बढ़ाता है

स्वाधिष्ठान चक्र त्रिकास्थि (कमर के पीछे की तिकोनी हड्डी) में अवस्थित होता है और अंडकोष या अंडाश्य के परस्पर के मेल से विभिन्न तरह का यौन अंत:स्राव उत्पन्न करता है, जो प्रजनन चक्र से जुड़ा होता है। स्वाधिष्ठान को आमतौर पर मूत्र तंत्र और अधिवृक्कसे संबंधित भी माना जाता है। त्रिक चक्र का प्रतीक छह पंखुडिय़ों और उससे परस्पर जुदा नारंगी रंग का एक कमल है। स्वाधिष्ठान का मुख्य विषय संबंध, हिंसा, व्यसनों, मौलिक भावनात्मक आवश्यकताएं और सुख है। शारीरिक रूप से स्वाधिष्ठान प्रजनन, मानसिक रूप से रचनात्मकता, भावनात्मक रूप से खुशी और आध्यात्मिक रूप से उत्सुकता को नियंत्रित करता है।

कैसी होती है प्रकृति?

देह के अलावा मन भी दिखेगा।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

विचार नियंत्रित, शुद्ध होना शुरू भर होगा।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

कमिटमेंट और करेज बढ़ेगा।

3️⃣ मणिपुर चक्र का स्वरूप।

मणिपुर चक्र – संतुष्टि का भाव

मणिपुर या मणिपुरक चक्र चयापचय और पाचन तंत्र से संबंधित है। ये चक्र नाभि स्थान पर होता है। ये पाचन में, शरीर के लिए खाद्य पदार्थों को ऊर्जा में रूपांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसका प्रतीक दस पंखुडिय़ों वाला कमल है। मणिपुर चक्र से मेल खाता रंग पीला है। मुख्य विषय जो मणिपुर द्वारा नियंत्रित होते हैं, ये विषय है निजी बल, भय, व्यग्रता, मत निर्माण, अंतर्मुखता और सहज या मौलिक से लेकर जटिल भावना तक के परिवर्तन, शारीरिक रूप से मणिपुर पाचन, मानसिक रूप से निजी बल, भावनात्मक रूप से व्यापकता और आध्यात्मिक रूप से सभी उपादानों के विकास को नियंत्रित करता है।

कैसी होती है प्रकृति?

हृदय दिखेगा।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

कभी-कभी विचारशून्य होंगे।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

लीडरशीप बढ़ेगी।

4️⃣ अनाहत चक्र का स्वरूप।

अनाहत – भय और तनाव दूर करता है

अनाहत या अनाहतपुरी या पद्म-सुंदर बाल्यग्रंथि से संबंधित है, यह सीने में स्थित होता है। बाल्यग्रंथि प्रतिरक्षा प्रणाली का तत्व है, इसके साथ ही यह अंत:स्त्रावी तंत्र का भी हिस्सा है। यह चक्र तनाव के प्रतिकूल प्रभाव से भी बचाव का काम करता है। अनाहत का प्रतीक बारह पंखुडिय़ों का एक कमल है। अनाहत हरे या गुलाबी रंग से संबंधित है। अनाहत से जुड़े मुख्य विषय जटिल भावनाएं, करुणा, सहृदयता, समर्पित प्रेम,

संतुलन, अस्वीकृति और कल्याण है। शारीरिक रूप से अनाहत संचालन को नियंत्रित करता है, भावनात्मक रूप से अपने और दूसरों के लिए समर्पित प्रेम, मनासिक रूप से आवेश और आध्यात्मिक रूप से समर्पण को नियंत्रित करता है।

कैसी होती है प्रकृति?

आत्मा दिखेगी।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

मन प्रसन्न रहने लगेगा।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

ह्यूमिलिटी और ऑनेस्टी आएगी।

5️⃣ विशुद्धि चक्र का स्वरूप।

विशुद्धि चक्र – वाणी में प्रभाव देता है

यह चक्र गलग्रंथि, जो गले में होता है, के समानांतर है और थायरॉयड हारमोन उत्पन्न करता है, जिससे विकास और परिपक्वता आती है। इसका प्रतीक सोलह पंखुडिय़ों वाला कमल है। विशुद्ध की पहचान हल्के या पीलापन लिये हुए नीले या फिरोजी रंग है। यह आत्माभिव्यक्ति और संप्रेषण जैसे विषयों, जैसा कि ऊपर चर्चा की गयी हैं, को नियंत्रित करता है। शारीरिक रूप से विशुद्ध संप्रेषण, भावनात्मक रूप से स्वतंत्रता, मानसिक रूप से उन्मुक्त विचार और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।

कैसी होती है प्रकृति?

परमात्मा की हल्की झलक।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

चेहरे पर तेज, शांति।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

वेल्यूज को समझेंगे।

6️⃣ आज्ञा चक्र का स्वरूप।

आज्ञा चक्र – मानसिक दृढ़ता और क्षमा भाव देता है

आज्ञा चक्र दोनों भौहों के मध्य स्थित होता है। आज्ञा चक्र का प्रतीक दो पंखुडिय़ों वाला कमल है और यह सफेद, नीले या गहरे नीले रंग से मेल खाता है। आज्ञा का मुख्य विषय उच्च और निम्न अहम को संतुलित करना और अंतरस्थ मार्गदर्शन पर विश्वास करना है। आज्ञा का निहित भाव अंतज्र्ञान को उपयोग में लाना है। मानसिक रूप से, आज्ञा दृश्य चेतना के साथ जुड़ा होता है। भावनात्मक रूप से, आज्ञा शुद्धता के साथ सहज ज्ञान के स्तर से जुड़ा होता है।

कैसी होती है प्रकृति?

परमात्मा की झलक अधिक समय के लिए।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

अज्ञात भय से मुक्ति।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

एग्रेसिवनेस और फीयरलेसनेस

7️⃣ सहस्रार चक्र का स्वरूप।

सहस्त्रार चक्र – परमात्मा के होने का अहसास

सहस्रार को आमतौर पर शुद्ध चेतना का चक्र माना जाता है। यह मस्तक के ठीक बीच में ऊपर की ओर स्थित होता है। इसका प्रतीक कमल की एक हजार पंखुडिय़ां हैं और यह सिर के शीर्ष पर अवस्थित होता है। सहस्रार बैंगनी रंग का प्रतिनिधित्व करती है और यह आतंरिक बुद्धि और दैहिक मृत्यु से जुड़ी होती है। सहस्रार का आतंरिक स्वरूप कर्म के निर्मोचन से, दैहिक क्रिया ध्यान से, मानसिक क्रिया सार्वभौमिक चेतना और एकता से और भावनात्मक क्रिया अस्तित्व से जुड़ा होता है।

कैसी होती है प्रकृति?

प्रकृति और जीवों में परमात्मा की झलक।

आध्यात्मिक प्रभाव क्या?

हर सांस में परमात्मा का नाम/गुरु मंत्र सुनाई देने लगेगा।

प्रोफेशनल प्रभाव क्या?

सफलता के साथ शांति।

🙏🚩🙏

गिरीश
Author: गिरीश

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

[wonderplugin_slider id=1]

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

error: Content is protected !!
Skip to content