December 4, 2024 10:07 pm
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झोली के भगवान

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झोली के भगवान🙏🌹🙏

वस्तुतः कुछ लोगो की धारणा रहती है हम तो सदैव भगवान को अपनी पर्स मे या झोली मे रखते है हम भगवान के है वह हमारे है यही भ्रम दूर करने का प्रयास किया है —-

एक साधु थे उनका न कोई आश्रम न धर्मशाला न कोई ठिकाना जंहा रात होती वंही ठहर जाते और भिक्षा से जो मिलता भगवान का भोग लगाते ।

वृंदावन की दो गोपियां जिन्होंने कभी भगवान के दर्शन नही किये न कभी मंदिर गयी। प्रातः दधि मक्खन गागर मे भरकर ले जाती बेचती और अपनी ग्रहस्थी मे मंगन रहती।

दोनो गोपियो ने यह सुन रखा था साधु संतो के पास झोली मे भगवान रहते है। एख दिन दोनो अपना दधि बेचकर यमुना के निकट आयी। वंहा देखा कि एक साधु अपनी झोली रखकर संध्या वंदन हेतु स्नान करने गये है झोली एक वृक्ष के नीचे रखी है। कौतूहल वश झोली मे भगवान है, भगवान कैसे है? इस दृष्टि से दोनो ने चुपके से झोली उठाई और सारा सामान विखेर दिया। भगवान नही मिले ।तभी उनकी नजर एक डिब्बे पर पडी। डिब्बा खोला तो देखा कि लड्डू गोपाल डिब्बे मे बंद है ।

एक सखी बोलो –यही भगवान है

दूसरी बोली -कितने निर्दयी है ये सन्यासी भगवान को बंद करके रखा है ।

पहली सखी -देखो बेचारे भगवान के हांथ पैर सब टेढे हो गये है ।

दूसरी –बेचारे जो बंद रहते है ।हांथ पैर हिलाने की जगह नही है ।

अब दोनो ने लड्डू गोपाल को उठाया बोली भगवान जी अब परेशान न हो अपने हांथ पैर सीधे कर लो और हम दही खिलाते है खा लो भूखे भी होगे ।दोनो ने भगवान की मूर्ति को सीधा करना शुरू किया ।भगवन को भी उनकी सरलता पर आनंद आ रहा था वह भी मुसुकरा रहे थे ।जब वह थक गयी लेकिन हारी नही ।भगवान को हारना पडा ।लड्डू गोपाल की मूर्ति सीधी हो गई ।भगवान सीधे खडे होगा गये ।दोनो ने भगवान को नहलाया और दही खिलाया
फिर बोली –अब लेटो आराम करो ।वह सीधी मूर्ति डिब्बे मे नही जा रही थी ।

तब तक वह महात्मा जी आ गये दोनो डरकर भागी ।महात्मा जी ने सोचा कि कुछ लेकर भागी है वह उनके पीछे दौडे लेकिन उन तक पहुंच नही पाये लौटकर झोली देखी तो हतप्रभ थे ।भगवान लड्डू गोपाल खडे हंस रहे थे ।महात्मा सारी बात समझ गये ।वह भगवान के चरणो मे गिर कर रोने लगे ।

वह खोजते हुए उन गोपियो के घर गये उनके भी चरण पकडकर रोने लगे ।धन्य हो तुम दोनो आज तुम्हारे कारण भगवान के दर्शन हो गये ।जीवन भर संग लिऐ घूमता रहा पर सरल नही बन पाया ।।

संदेश —
नवधा भक्ति मे सरल भक्ति महत्वपूर्ण है ।
भगवान भाव और सरलता पर रीझते है ।
हम जीवन मे सरलता नही ला पाते यही हमारी बिडंबना है ।।

जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏

गिरीश
Author: गिरीश

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