अपने पूर्व जन्म के इस पाप के कारण थे धृतराष्ट्र जन्म से
अंधे,जाने धृतराष्ट्र से जुडी रोचक एवं अनसुनी बाते !
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महाभारत के पात्र धृतराष्ट्र के बारे में ये तो सभी को पता है की वे अंधे थे, परन्तु क्या आपको पता है की उनका यह अंधापन उन्हें पिछले जन्म में मिले एक श्राप के कारण था तथा धृतराष्ट्र ने ही अपनी पत्नी गांधारी के परिवार वालो की मृत्यु करवाई थी।
परन्तु आखिर क्यों धृतराष्ट्र को अंधा होने का श्राप मिला तथा क्यों उन्होंने अपने ही पत्नी के परिवार को मारा था ? आइये जानते है धृतराष्ट्र से जुडी ऐसे ही कुछ रोचक बातो के बारे में।
इस श्राप के कारण धृतराष्ट्र जन्म से थे अंधे :-
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अपने पूर्व जन्म में धृतराष्ट्र एक बहुत ही निर्दयी एवं क्रूर राजा थे। एक दिन जब वे अपने सैनिको के साथ राज्य भ्रमण को निकले तो उनकी नजर एक तालाब में अपने बच्चों के साथ आराम करते हंस पर पड़ी।राजा ने तुरंत अपने सैनिको को आदेश दिया की उस हंस की आँखे निकाल ली जाए, सैनिको ने राजा की आज्ञा का पालन किया। दर्द से बिलखते उस हंस की आँखो को निकाल कर राजा अपने सैनिको के साथ आगे बढ़ गया। उस हंस की असहनीय पीड़ा के कारण मृत्यु हो गई तथा उसके बच्चे भी मृत्यु को प्राप्त हुए ।
परन्तु हंस ने मृत्यु से पहले राजा को श्राप दिया था की मेरी ही तरह एक तुम्हारी भी यही दुर्दशा होगी। इसी श्राप के कारण अगले जन्म में धृतराष्ट्र अंधे पैदा हुए तथा उनके पुत्र उसी तरह मृत्यु के प्राप्त हुए जिस तरह हंस के।
धृतराष्ट्र जन्म से थे अंधे :-
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महाराज शांतुन तथा रानी सत्यवती के दो पुत्र थे विचित्र वीर्य और चित्रांगद। चित्रांगद कम आयु में ही एक युद्ध में शत्रु के हाथो मृत्यु को प्राप्त हुए थे तथा भीष्म पितामह ने विचित्रवीर्य का विवाह काशी के राजा की दो पुत्रियों अम्बिका और अम्बालिका से करवाया। परन्तु किसी बिमारी के कारण जल्द ही राजा विचित्रवीर्य भी गुजर गए।
अम्बिका और अम्बालिका संतानहीन थी ऐसे में महारानी सत्यवती के सामने यह समस्या उत्पन्न हुई की आखिर कौरव वंश को आगे कैसे बढ़ाया जाए।अंत में सत्यवती ने महर्षि वेदव्यास से वंश को आगे बढ़ाने के लिए उपाय पूछा। तब वेदव्यास ने अपने दिव्य शक्तियों से अम्बिका और अम्बालिका की संताने उतपन्न करी थी।परन्तु जिस समय वेदव्यास अपनी शक्तियों का प्रयोग उन पर कर रहे थे उस समय डर के मारे अम्बिका ने अपनी आँखे बंद कर ली जिस कारण उनके पुत्र के रूप में धृतराष्ट्र अंधे पैदा हुए।
दूसरी तरफ अम्बालिका भी महर्षि से डर गयी थी व उनका पूरा शरीर डर से पिला पड गया था जिस कारण उन्होंने पाण्डु के रूप में एक कमजोर शिशु को जन्म दिया।इसके अलावा एक दासी भी वहां खड़ी थी जिसे महर्षि वेदव्यास के शक्ति प्रभाव से एक पुत्र प्राप्त हुआ जो महात्मा विदुर थे।
धृतराष्ट्र ने मरवाया था गांधारी के पुरे परिवार को :-
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धृतराष्ट्र का विवाह गांधार नरेश की पुत्री गांधारी से हुआ था। गांधारी के कुंडली में दोष था अतः गांधरी के विवाह से पूर्व इस दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए एक साधू की सहायता ली गई। उस साधू के उपाय के अनुसार गांधारी का विवाह एक बकरे से करवाया गया, बाद में उस बकरे की बलि दे दी गई। यह बात गांधारी के विवाह के समय छुपाई गई थी। जब धृतराष्ट्र को इस बात का पता लगा तो उसने गांधार नरेश सुबाल सहित उसके 100 पुत्रों को कारावास में डाल दिया तथा उन्हें बहुत भयंकर यातनाएं देने लगे।
एक-एक करके सुबाल के सभी पुत्र मृत्यु को प्राप्त होने लगे उन्हें कारवास में खाने को सिर्फ एक मुट्ठी चावल दिया जाता है। सुबाला ने अपने सबसे छोटे पुत्र शकुनि को धृतराष्ट्र से बदला लेने के लिए तैयार किया सुबाला सहित उसके अन्य पुत्र अपने छोटे भाई शकुनि को अपने हिस्से का चावल देने लगे ताकि वह जिन्दा रहकर कौरवों का नाश कर सके। मृत्यु से पहले सुबाला ने धृतराष्ट्र से विनती करी थी की वह उसके छोटे पुत्र शकुनि को छोड़ दे जो धृतराष्ट्र ने मान ली थी। सुबाला ने शकुनि को अपने रीढ़ के हड्डी की पासे बनाने के लिए कहा था जो कौरव वंश के नाश का कारण बने।
शकुनि ने हस्तिनापुर में सर्वप्रथम सबका विश्वास जीता तथा धृतराष्ट्र के सबसे बड़े पुत्र दुर्योधन का चेहता बना। उसने ही दुर्योधन को पांडवो के खिलफ भड़काया तथा महाभारत जैसे विनाशकारी युद्ध का आधार बना।
भीम को मार डालना चाहते थे धृतराष्ट्र :-
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क्योकि भीम ने ही धृतराष्ट्र के बड़े पुत्र दुर्योधन का वध किया था अतः धृतराष्ट्र भीम को मार डालना चाहते थे। जब महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांचो पांडव श्री कृष्ण के साथ हस्तिनापुर महाराज धृतराष्ट्र से मिलने पहुंचे तो भीम के अलावा सबने धृतराष्ट्र को प्रणाम किया तथा उनके गले मिले।भगवान श्री कृष्ण धृतराष्ट्र की मंशा जान चुके थे अतः जब भीम धृतराष्ट्र को प्रणाम करके उनके गले मिलने आगे बढ़े तो श्री कृष्ण ने भीम को रोक दिया तथा उनके स्थान पर भीम की लोहे की मूर्ति आगे बढ़ा दी। धृतराष्ट्र बहुत ताकतवर थे उन्होंने भीम समझकर लोहे की मूर्ति को पूरी ताकत से दबोच लिया और उसे तोड़ डाला।
भीम की मूर्ति तोड़ने से उनके मुंह से भी खून निकलने लगा तथा इसके बाद जब धृतराष्ट्र का क्रोध शांत हुआ तो वे भीम को मृत समझ रोने लगे। तब भगवान श्री कृष्ण बोले की भीम तो जीवित है आपने भीम समझ भीम की मूर्ति को तोड़ा है। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने धृतराष्ट्र से भीम की जान बचाई थी।
|| श्री कृष्ण भगवान की जय हो ||
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