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हाइलाइट्स
नोएडा और गुड़गांव में बिल्डर फ्लोर और सोसायटी अपार्टमेंट दोनों ही उपलब्ध हैं.
सोसायटी फ्लैट, बिल्डर फ्लोर्स के मुकाबले 50-70 फीसदी तक महंगे होते हैं.
Builder Floor VS Society Flat: दिल्ली-एनसीआर के दो शहर प्रॉपर्टी के मामले में सबसे आगे चल रहे हैं. गुरुग्राम और नोएडा दो ऐसे शहर हैं जहां प्लॉट और फ्लैट्स की मांग जबर्दस्त तरीके से बढ़ रही है. एनसीआर में जॉब्स और बिजनेस के चलते लोग इन दो शहरों में रहना पसंद कर रहे हैं और यहीं अपना घर बनाना चाहते हैं, हालांकि घर चुनते समय हमेशा लोगों के लिए सामने कई विकल्प होते हैं और वे कन्फ्यूज हो जाते हैं लेकिन आज हम आपको सीमित बजट में बेहतरीन आशियाने का ऑप्शन चुनने के तरीके बता रहे हैं, ताकि आप अपने और अपने बच्चों के फ्यूचर को देखते हुए मिनटों में फैसला कर लें..
अगर आप इन दो शहरों में घर और प्रॉपर्टी बनाने की सोच रहे हैं तो अच्छी बात है क्योंकि हाल ही में आई कई सर्वे रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारी डिमांड के चलते सिर्फ एक साल में इन दो शहरों में प्लॉट हों या फ्लैट, सभी की कीमत में 25 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है और दोनों ही मोटा रिटर्न दे रहे हैं. वहीं रेंट की कीमतों में भी इजाफा होने से रेंटल इनकम एक बेहतर जरिया हो सकता है.
आइए पहले जानते हैं कि सोसाइटी अपार्टमेंट्स और इंडिपेंडेंट बिल्डर फ्लोर में क्या अंतर है? और इन दोनों से आपके लिए क्या बेस्ट है. सोसाइटी अपार्टमेंट हो या बिल्डर फ्लोर, दोनों ही विकल्पों के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं. हम दोनों विकल्पों के बारे में 6 पॉइंट्स में बता रहे हैं. ताकि आप खुद फैसला कर सकें.
1. सुविधाएं
बिल्डर फ्लोर में हमारे पास वही सुविधाएं होती हैं जो हमने बनाई हैं और उनमें से हर एक के लिए भुगतान करते हैं. इन फ्लोर्स में पार्क, क्लब, स्विमिंग पूल आदि बड़ी सुविधाएं नहीं मिलती. हालांकि गाड़ी पार्क करने की जगह मिल सकती है. वहीं एक हाउसिंग सोसायटी के अपार्टमेंट में खरीदार के पास क्लब, स्विमिंग पूल, जॉगिंग ट्रैक, पार्क, जिम, सभागार, मंदिर आदि कई आंतरिक सुविधाएं मिलती हैं. सुविधाओं के मामले में बिल्डर फ्लोर में बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी उपयोगिताओं के अलावा अन्य सुविधाएं नहीं होती हैं.
क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ कहते हैं कि हाउसिंग सोसायटीज में सुरक्षा से लेकर सुविधाएं तक सबकुछ बेहतर होता है. यहां निर्माण की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. ये फ्लैट एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए होते हैं. यहां पर सूरज की रोशनी और वेंटिलेशन की बेहतर सुविधा होती है. यही कारण है कि दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि टीयर-2 और 3 में भी अब बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स आ रहे हैं.
2. बजट
घर खरीदना है तो बजट सबसे अहम चीज है. आपका जो बजट होगा, उसी के अनुसार आप अपना फैसला कर पाएंगे. आमतौर पर एक बिल्डर फ्लोर की कीमत उस क्षेत्र पर निर्भर करती है जहां उसे बनाया जाता है. दिल्ली में एक बिल्डर फ्लोर को 50 से 75 लाख रुपये के बीच लोअर से मिड-सेगमेंट रेंज में खरीदा जा सकता है. नोएडा में 2 बीएचके बिल्डर फ्लोर की कीमत 25-30 लाख है. वहीं, प्राइम लोकेशन में इनकी कीमत ज्यादा हो जाती है और कई करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं.
अब अगर सोसायटी फ्लैट कि बात करें तो दिल्ली-एनसीआर में एक से बढ़कर एक लक्जरी या मिड हाउसिंग सोसायटीज हैं. इनकी कीमतें सातवें आसमान पर हैं. अच्छी सोसायटी में 2BHK फ्लैट की कीमत करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. लग्जरी सोसायटियों में तो तीन से चार करोड़ रुपये तक के फ्लैट हैं. वहीं अगर फ्लैट का क्षेत्रफल थ्री-फोर बीएचके होता है तो कीमतें बढ़ जाती हैं.
3. निर्णय लेने की आजादी
बड़ी हाउसिंग सोसाइटीज में बिल्डर के बाद सोसायटी आरडब्ल्यूए को हेंडओवर की जाती है. वहीं उसका मेंटीनेंस से लेकर फैसले लेने का काम करती है. सोसायटी में घर के बारे में कोई निर्णय लेने के लिए कई लोगों से और यहां तक कि सोसायटी के लोगों के साथ मीटिंग कर राय लेने की जरूरत होती है. जबकि बिल्डर फ्लोर के निवासियों को निर्णय लेने में अधिक आजादी होती है क्योंकि यहां लोगों की संख्या कम होती है और सभी अपने-अपने फ्लोर के लिए जिम्मेदार होते हैं.
4. रखरखाव और मेंटीनेंस
सोसाइटी फ्लैटों में बड़ी संख्या में सदस्यों वाली हाउसिंग सोसाइटियों में रखरखाव और मेंटीनेंस के लिए ज्यादा धनराशि की जरूरत होती है. हाईराइज सोसायटीज में महीने का मेंटीनेंस चार्ज भी ज्यादा होता है. मसलन टूबीएचके के लिए दो से ढाई हजार रुपये महीने. जबकि बिल्डर फ्लोर के बारे में ऐसा नहीं है. बिल्डर फ्लोर में निवासी केवल अपने फर्श की सफाई और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होते हैं. कॉमन एरिया के लिए सभी मिलकर फैसला कर सकते हैं. बिल्डर फ्लोर में अधिकतम 5-6 फ्लैट होते हैं, जबकि सोसायटी फ्लैट में अपार्टमेंट्स की संख्या सैकड़ों में होती है.
5. सुरक्षा और ब्रांड
काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी कहते हैं कि लोगों का हाईराइज सोसायटीज के प्रति रुझान इसलिए बढ़ा है क्योंकि यहां बेहतर सुरक्षा होती है. गेट बंद कॉलोनी, सीसीटीवी से लेकर स्क्रीनिंग, सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी रहती है. यहां रियल एस्टेट के बड़े ब्रांड मिलते हैं. यहां स्वीमिंग पूल से लेकर क्लब तक की सुविधाओं से लोगों को लग्जरी जीवन का अनुभव मिलता है.
वहीं बिल्डर फ्लोर में छोटे बिल्डर, ठेकेदार या संपत्ति के मालिक निर्माण के लिए जिम्मेदार होते हैं. यह रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए पसंदीदा भवन निर्माण विकल्प नहीं है. किसी भी प्रतिष्ठित या बड़े डेवलपर्स द्वारा कोई भी बिल्डर फ्लोर विकसित नहीं किया जाता है. वहीं यहां सुरक्षा गार्ड आदि की सुविधा नहीं होती.
6. रेरा कानून
एस के ए ग्रुप के डायरेक्टर संजय शर्मा कहते हैं कि हाईराइज सोसायटीज के चलते ही गुरुग्राम, नोएडा और ग्रेटर नोएडा रहने के लिए सबसे बेहतर शहर बन गए हैं. यहां घर खरीदने वालों को न सिर्फ सुरक्षित माहौल मिलता है बल्कि जो रकम वे घर में निवेश करते हैं उसका पूरा रिटर्न भी मिलता है. सबसे बड़ी चीज है रेरा. यह क्वालिटी की गारंटी है.
रेरा यानि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 है. रेरा को देश के अब तक असंगठित और अनियमित रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने के लिए तैयार किया गया था. 2016 का रेरा अधिनियम रियल एस्टेट डेवलपर्स, घर खरीदार, रियल्टी एजेंट और अन्य रियल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े लोगों की चिंताओं और शिकायतों को दूर करने के लिए लागू किया गया था. सोसाइटी फ्लैट में रेरा कानून लागू होते है लेकिन बिल्डर फ्लोर में रेरा कानून का कोई प्रावधान नहीं हैं.
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Tags: Builder Society Noida Fines, Flat in a society, Money, Property
FIRST PUBLISHED : December 13, 2023, 12:20 IST
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Author: आर पी एस न्यूज़
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