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,,,,,,,,,, ,,,,,,,कहानी,,,,,,,,,,,,,,
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,,,,,,,,,,,, कड़वी दवाई,,,,,,,,,
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, बहुत वर्षों के पश्चात आज उसके आंगन में बच्चे की किलकारी गुजरती है सारा परिवार खुशियों से झूम उठता है
, सब से ज्यादा खुशी होती राजेश को आज उसको पिता कहलाने का गौरव प्राप्त हो गया था यह भी अपने आप में बहुत बड़ी घटना बन जाती उसके लिए
, बालक के लालन पालन में अपना समय लगाना प्रारंभ कर देता है धन्दा पानी छोड़कर बालक को घुमाने के लिए बाजार ले जाता है अच्छे-अच्छे वस्त्र पहनता है उसकी खुशियों में अपना जीवन समर्पित कर देता है
, शुभ उसके जी की जड़ी बन जाती है उसके बिना वह अपनी आप को सूना सूना महसूस करना प्रारंभ कर देता है उसकी धर्मपत्नी उसको समझाती है आज इतना मत करो पर वह मानने का नाम ही नहीं लेता है
, अधिक लाड़ प्यार के कारण बच्चा धीरे-धीरे जिद्दी स्वभाव की और अग्रसर हो जाता है दोस्तों के साथ घूमना फिरना प्रारंभ कर देता है बुरे दोस्तों के कारण उसकी जीवन में भी बुरे संस्कार अवतरित हो जाती है
, सात प्रकार के दूर व्यसन उसके जीवन के सृंगार वन जाते हैं वह दिन भर बाजारों में आवारा गिरी करता हुआ घुसा रहता है 24 घंटा मद्यपान में लग जाता है उसका जीवन परिवार के लिए बार भूत बन जाता है
, एक दिन तो ऐसा भी आता है वह अपने पिता से भी झगड़ा कर बैठता है संपत्ति से अपना अधिकार मांगना प्रारंभ कर देता है पिता समझाने में कोई कमी ही रक्षा है पर वह समझने का नाम ही नहीं ले रहा था
, आखिर में पिता ने हार कर आधी संपत्ति देकर उसको अपनी आधी संपत्ति लेकर घर सेअलग कर दिया माता को बहुत ज्यादा दुख होता है जब बेटे की बहू माता के पास आती है कहती है अब मैं क्या करूं घर छोड़ने का मन नहीं हो रहा है पर वह रहने के लिए तैयार नहीं है कुलीन परिवार से लड़की आई थी
, सासू भी क्या कर सकती है बहू के सामने कुछ नहीं बोलती है लड़का आता है अपनी पत्नी का हाथ पकड़ कर खींच कर ले जाता है अलग मकान में रहना साहब कर देता है
, शुभ अब ओर ज्यादा स्वच्छंद बन गया था ज देखते देखते सारी संपत्ति उड़ा देता है मकान खेत सारे वीक जाती है दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाता है
, इतना ज्यादा कर्जदार वन जाता है जिसकी कोई सीमा नहीं रहती है प्रतिदिन मांगने वाले आते है पैसा नहीं चुकाने पर गालियां की बौछार करना प्रारंभ कर देते हैं
, बहू से अब रहा नहीं जाता है मैं अपने छोटे से बच्चे को लेकर सास के दरवाजे पर पहुंची जाती है अपनी परिवार की इज्जत बनाए रखने की प्रार्थना करती है
, आप लड़का बहुत परेशान है 11 दिन हो गए हैं घर से पैर बाहर नहीं रख रहा है उसको बहुत शर्म आ रही है आप एक बार ससुर जी को कहकर सारा कर्जा नक्की करवा दे आपका बेटा फिर कभी भी शराब नहीं पिएगा है मैं आपको विश्वास दिलाती हूं
, पुत्र वधू की बात सुनकर उसको आश्वस्त किया बेटी चिंता मत कर सब अच्छा होगा तेरी ससुर जी बहुत अच्छे इंसान है मैं उनसे बात करूंगी उसी समय उसका घर पर आना हो जाता है जी आप सुनते हो कितनी कितनी गालियां सहनी पड़ रही है हमारी कोई सपरिवार की इज्जत है मिट्टी में मिल रही है आप एक बार इस ओर ध्यान दें तो अच्छा रहेगा यह बा सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कान उभर आती है
, उसने कहा तेरे को चिंता करने की जरुरत नहीं है गालियां देने वाले व्यक्ति मेरे ही व्यक्ति है मैंने ही यह सारा सड़ यंत्र रचा है अपने बेटे को सुधारने के लिए सब ठीक होगा चिंता मत कर धर्मपत्नी को आश्वस्त करते हुए उसने कहा
, पुत्र वधू ससुर के चरणों में गिर कर गीड़ गीड़ाने लग जाती है बेटा यदि अगर माफी मांग ले भविष्य में कभी भी शराब जुआ बुरी आदतों को छोड़ने को छोड़ने का विश्वास दिलवाई तो में चिंतन कर सकता हूं वरना नहीं
, वह तत्काल अपने घर जाकर अपने पति को साथ में लेकर आती है बेटा अपने पिता के चरणो में गिर जाता है पिताजी एक बार आप मेरे को बचा ली मैं आपको विश्वास दिलाता हूं भविष्य में कभी भी गलत रस्ते पर नहीं जाऊंगा हमेशा आपकी आदेश का पालन करूंगा ब्यापार व्यवसाय में ध्यान लगाना प्रारंभ कर दूंगा
, पिता ने पुत्र के मस्तक पर हाथ रखते हुए कहा बेटा कोई चिंता मत कर सब कुछ अच्छा हो जाएगा पर भविष्य में ध्यान रखना इतना कहकर जितने भी मांगने वाले थे सबको घर पर बुलाकर ब्याज सहित चुकारा कर देता है
, पिता के व्यापार में पुत्र हाथ बटाना प्रारंभ कर देता है धीरे धीरे घर का नाम रोशन होना प्रारंभ हो जाता है
, एक दिन मां ने अपने बेटे से पूछा बेटा तू गलत रस्ते कैसे चला गया क्या कारण रहा उसने ने कहा मां असली कारण मेरे पिताजी ही है यह बात सुनकर मां चौक जाती है बेटा यह कैसी गहरा है क्या कोई बाप अपने बेटे को गलत रस्ते पर जाने के लिए कह है
, हां मां पिताजी की अधिक लाल और प्यार ने मेरे को विगाड़ दिया था इतने में पिताजी का घर में आगमन हो जाता है वार्तालाप का दौर उसके कान में गुंजायमान होता है
, उसने अपने बेटे को संबोधित करते हुए कहा बेटा तेरे को सुधारा किसने यह भी बता दे पुत्र पिता की तरफ देखना प्रारंभ कर देता है
, हां बेटा सुधारने वाला में हूं तो बिगाड़ने वाला भी में ही था तेरे को सुधारने के लिए मेरे को कड़वी दवाई देनी पड़ी वरना तू सुधारता ही नहीं था तेरे कारण मेरे परिवार की तेरे ससुराल की इज्जत मिट्टी में मिल रही थी
, उसको बचाने के लिए कांटे से कांटा निकलता है इस कहावत को चरितार्थ करने के लिए मैंने यह सरा सड़ यंत्र रचा था गालियां देनी वाले को मेने ही भेजा था कड़वी घूट काम कर जाती है
, पूरा परिवार खुशहाल बन जाता है सुनने वालों के कानों में एक ही आवाज गुंजायमान होती है सुधारने के लिए कड़वी दवाई की जरूरत होती है
, कड़वी दवाई?
,,कड़वी दवाई, कड़वी दवाई,,??
,,, कड़वी दवाई, कड़वी दवाई,, कड़वी दवाई,,,???????????? यह रचना मेरी नहीं है। मुझे अच्छी लगी तो आपके साथ शेयर करने का मन हुआ।🌷*