*🦚🙏‼️श्री गणेशाय नम:‼️🙏🦚*
*🌹🌸 ।। जय माता दी ।। 🌸🌹*
*वैदिक ज्योतिष मे सप्तम ग्रहों का विशलेषण.*
हमारे सूर्य मण्डल में अनगिनत ग्रह हैं लेकिन हमारे शरीर पर जिन 9 ग्रहों का प्रभाव पड़ता है,ज्योतिष शास्त्र में उन्हीं 9 ग्रहों का अध्यन किया जाता है जो इस प्रकार हैं :
1. सूर्य
2.चन्द्र
3. मगल
4. बुध
5. गुरु (बृहस्पति )
6. शुक्र
7. शनि
8. राहु (छाया ग्रह)
9.केतु
*केतु (छाया ग्रह)*
ग्रहों से आने वाली किरणें हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं सभी ग्रहों से कई चीजें जुडी हुई हैं, हमारा शरीर तथा समाज भी ग्रहों से जुड़ा हुआ है सभी ग्रह हमारे शरीर में किसी न किसी चीज का प्रतिनिधित्व करते हैं.
*सूर्य ग्रह*
हमारे जीवन में सूर्य ग्रह का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है हमारे सूर्यमण्डल में सूर्य ग्रह ही सभी ग्रहों को ऊर्जा देते हैं यदि हमारे सूर्यमंडल सूर्य ग्रह को हटा दिया जाये तोह सम्पूर्ण जीवात्मा और पेड़ पौधे नष्ट हो जायेंगे क्यूंकि सूर्य की किरणों से ही हमें ऊर्जा मिलती है सूर्य ग्रह की किरणों से ही पृथ्वी पर सारी जीवात्मा चलती है इसी वजह से सम्पूर्ण श्रष्टि दिन में काम करती है तथा सूर्यास्त के बाद हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है इसी कारण से रात के समय में सम्पूर्ण जीवात्मा को नींद आती है बहुत सारे जातकों का मानना है.
कि हमें ऊर्जा खाने से मिलती है, ये बात सच है कि हमें ऊर्जा खाने से मिलती है लेकिन रात्रि के समय भी हम सब खाना खाते हैं उसके बाद भी हमारा शरीर दिन की तरह काम नहीं कर सकता है क्यूंकि रात्रि के समय हमारे वातावरण में सुर्य की किरणें नहीं होती हैं इसलिए शरीर में थकान बढ़ना शुरू हो जाती है यदि सूर्य ग्रह कभी भी अस्त न हो तो हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रभाव नियमित रूप से बना रहेगा, जिसके कारण हमारे शरीर में थकान महसूस ही नहीं होगी और हम बिना सोये भी काम करते रहेंगे हमारे शरीर को चलाने में सूर्य ग्रह का बहुत योगदान माना जाता है इसलिए सूर्य ग्रह को उत्पत्ति का कारक ग्रह माना जाता है उत्पत्ति का कारक ग्रह होने के कारण सूर्य ग्रह हमारे जीवन में पिता के कारक ग्रह माने जाते हैं.
सूर्य ग्रह = आत्मा कारक ग्रह (उत्पत्ति का कारक ग्रह) हमारे शरीर में सूर्य ग्रह हड्डियों तथा हृदय के कारक ग्रह माने जाते हैं। हमारे हृदय की पूरी कंट्रोलिंग पावर सूर्य ग्रह के पास है। सुर्य ग्रह के कारकेत्व : पिता, मान – यश, सरकारी नौकरी, आत्मा, दिल, हड्ियां, प्रशासन,जीव.
*चंद्र ग्रह*
चन्द्र ग्रह हमारे सौर्यमंडल में सबसे तेज चलने वाला ग्रह है इसलिए हमारा मन बहुत तेज भागता है, मन का पीछा कोई भी इन्सान नहीं कर सकता है क्यूंकि चंद्र ग्रह मन कारक ग्रह हमारा मन 24 घंटे में हजार तरह के रिएक्शंस देता है जैसे किसी बुजुर्ग इन्सान को देखते है तोह दया भावना आती है, किसी बच्चे को देखते हैं तोह प्यार आता है, कोई हमें गाली दे तोह गुस्सा आता है चन्द्र ग्रह मन तथा माता के कारक ग्रह हैं.हमारे शरीर में तरलता के कारक हैं.
चन्द्रमा के कारकेत्वः माता, मानसिक स्थित, तरलता, मन की शांति, भावनाएं, अशांत मन, सबसे तेज चलने वाला ग्रह क्या आप जानते हैं ?
घर में लगी तश्वीरें क्रूर पशु-पक्षी की या युद्ध या विनाश दर्शाने वाली नहीं होना चाहिए क्रर तश्वीरों से हमारे मस्तिष्क पर इसका बुरा असर पड़ता है सभी तश्वीरें प्रसन्नता का| प्रतीक या प्रदर्शन करने वाली होनी चाहिए हैं
*मंगल ग्रह :*
मंगल ग्रह हमारे शरीर के कारक ग्रह माने जाते हैं तथा शरीर में रक्त के भी कारक ग्रह माने जाते हैं। इसलिए आपने देखा होगा कि अखाड़े में हनुमान जी की फोटो जरूर होती हैं मंगल छोटे भाई के भी कारक ग्रह माने जाते हैं.
मंगल की सकारात्मक किरणें ही हमें हौसला देती हैं तथा एक साहसी व्यक्तित्व बनाती हैं इसलिए मंगल ग्रह से इन्सान की शारीरिक क्षमता देखते हैं
बहुत सारे लोग मरने – मारने पर जाते हैं क्यूंकि उनका मंगल बलि होता है। जिस ग्रह की डिग्री 13-18 होती है हम उसे बलि कहते हैं मंगल ग्रह देवताओं के सेनापति माने जाते हैं। मंगल ग्रह की विवाह के समय बहुत महत्ता होती है क्यूंकि मंगल ग्रह हमारे शरीर के कारक ग्रह माने जाते हैं तथा विवाह के समय पर हमारे शरीर का स्वस्थ होना अति अनिवार्य होता है हमारी संतान की उत्पत्ति के लिए भी मंगल को देखा जाता है इसलिए विवाह के समय पर मांगलिक देखा जाता है यदि किसी जातक – जातिका की शादी किसी मांगलिक जातक जातिका से कर दी जाए तोह मांगलिक जातक – जातिका का शरीर अशुभ हो जाता है सरल भाषा में कहें तोह मांगलिक जातक जातिका के शरीर में रक्त खराब होना शुरू हो जाता है
और शरीर में बीमारियाँ आना शुरू हो जाती हैं, कभी कभी तोह मांगलिक जातक जातिका की मृत्यु तक हो जाती है हालॉकि बहुत कम ही लोग मांगलिक होते हैं, 98 प्रतिशत लग्न कुंडलियों में मांगलिक योग का परिहार हो जाता है इसलिए कुंडली मिलान सटीकता से किया जाना चाहिए मंगल हमारे शरीर में रक्त के कारक ग्रह होने के कारण इन्सान को गुस्सैल तथा भड़कीला बना देते हैं
मंगल भूमि पुत्र हैं इसलिए मंगल को खाली जगह का भी कारक माना जाता है
मंगल ग्रह दुर्घटनाओं के भी कारक माने जाते हैं क्यूंकि मंगल का तृतीया भाव तथा छठा भाव कारक माना जाता है मंगल ग्रह के कारकेत्वः छोटे भाई, सेनापति, खून का कारक, हिम्मत, हौसला, भड़कीला स्वभाव,
शारीरिक क्षमता, भूमि पुत्र, खाली जगह का कारक, दुर्घटना.
*बुध ग्रह :*
ग्रह पृथ्वी पर प्रकृति के कारक ग्रह हैं, बुध ग्रह की वजह से ही हमें हरे पेड -पौधे तथा हरी सब्जी मिलती हैं बुध ग्रह के कारक :बुध ग्रह बुद्धि के कारक ग्रह माने जाते हैं तथा हमारे शरीर में चमड़ी (त्वचा) के कारक माने जाते हैं.
बृद्धि, वाणी, व्यवसाय, लेन-देन के कारक माने जाते हैं.
कंजक देवी (१२ साल से कम उम्र की कन्या), छोटी बहिन, मामी, मौसी, बुआ, ताई, चाची के कारक माने जाते हैं। किसी इन्सान की वारणी का अच्छा होना या खराब होना, कुंडली में बुध ग्रह के योग कारक या मारक होने निर्भर करता है। यदि कुंडली के द्वितीय भाव में समस्या है तथा बुध ग्रह मारक ग्रह हैं तोह ऐसे जातक – जातिका को बोलने में दिक्कत होती
है
*बृहस्पति ग्रह (गुरु ग्रह) :*
बृहस्पति भ्रमांड का सबसे अच्छा ग्रह होता है। दुनिया का कोई भी इन्सान गुरु ग्रह के बिना नहीं चल पाता है क्यूंकि गुरु ग्रह –
ज्ञान का कारक है
पैसों तथा खुशी का कारक है
महिलाओं के लिए पति तथा पिता
बड़े भाई का कारक होता है
हमारे समाज में मान-यश का कारक है।
लाभ का कारक है
धर्म का भी कारक माना जाता है
हमारे शरीर में चर्वी का कारक है
मोटापा का कारक माना जाता है
बृहस्पति ग्रह के कारकेत्व : ग्रह गुरु, सबसे अच्छा ग्रह, औलाद का करक, भाग्य, कर्म का कारक, लाभ, पति का कारक, मान, यश, धर्म, बड़े भाई, चर्बी, मोटापा, पैसा, ज्ञान.
*शुक्र ग्रह (दानव गुरु)*
शुक्र ग्रह को समाज में हर क्लेश का कारण माना जाता है क्यूंकि शुक्र ग्रह सभी भोग योग्य वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं मतलब गाड़ी, कपड़ा, मोबाइल, सभी प्रयोग में की जाने वाली वस्तुएं, शुक्र ग्रह से जुडी हुई हैं और कहीं न कहीं यही सब वस्तुएं क्लेश का कारण बनतीहैं। कभी आपने देखा है कि दो भाइयों में लड़ाई हो रही हो कि पिता जी आपने छोटे भाई को ज्यादा आशीर्वाद दिया और मुझे कम आशीर्वाद दिया, आपने नहीं देखा होगा। हमेशा दो भाइयों में लड़ाई हो रही होगी कि मुझे ये चीज कम मिली और उसे ज्यादा मिली मेरे माँ-बाप मझसे प्यार नहीं करते हैं क्यूंकि सारी भोग योग्य वस्तुएं शुक्र ग्रह से सम्बंधित हैं जोकि दानव गुरु हैं, इसलिए कहीं न कहीं हर क्लेश के कारण “दानव गुरु’ बन जाते हैं कला, संगीत, खुशबू, चलचित्र (सिनेमा), गहनें, साज-सजावट, फैशन, सुख-सुविधाएँ, कामक्रीडा, सेक्स सिस्टम, प्रेम प्रसंग, सुगन्धित पदार्थ का कारक शुक्र ग्रह को माना जाता है। संतान उत्पत्ति के लिए शुक्र बहुत जरुरी होता है।
शुक्र ग्रह कहीं न कहीं धन, ऐश्वर्य का कारक ग्रह माना जाता है.
*शनि ग्रह :*
धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि ग्रह का जन्म हुआ, जब शनि ग्रह छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी कि उन्हें अपने खाने पीने तक शुध नहीं थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हैं । तभी से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखते थे शनि ग्रह ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने
शनि ग्रह को वरदान मांगने को कहा, तब शनि ग्रह ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता सर्य द्वारा अनेक बार अपमानित किया गया है । अतः माता की इच्छा है कि मेरा पूत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा मानव तो क्या ग्रहता भी तुम्हरे नाम से भयभीत रहेंगे शनिग्रह को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी इसलिये उन्हें मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। शन प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं, और हर प्राणी के साथ
उचित न्याय करते हैं जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, गलत काम करते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं शनि की साढ़ेसाती और ढैया में ज्यादातर लोगों को काफी परेशानी होती है, दुः ख, तकलीफ का सामना करना पड़ता है क्यूंकि शनि ग्रह साढ़ेसाती और ढैया में ही कर्मो का न्याय करते हैं, हमारे संचित कमों का फल देते हैं इसलिए इन्सान को पूर्व की तरफ चेहरा करके उनसे क्षमा माँगनी चाहिए । शनि ग्रह का पाठ पूजन सूर्यास्त के बाद ही करें क्यूंकि शनि ग्रह अँधेरे के कारक हैं शनि ग्रह की मान्यता बहुत ज्यादा है यदि किसी के पास कुंडली नहीं है तो शनि चालीसा ले
लो और नियमित रूप से सूर्यास्त के बाद पढ़ना शुरू कर दें, पीपल के पेड़ को जल दें, सरसों के तेल का दीपक जलाएं तथा उनसे सुखना अवश्य मांगे शनि ग्रह दुःख, तकलीफ, परेशानी के कारक हैं धरती के गर्भ में जितना भी कोयला, हीरे हैं वो सब शनि ग्रह की गर्मी के कारण बनते हैं शनि ग्रह, तरलता जैसे रासायनिक पदार्ध, एलकोहॉल, पेट्रोलियम पदार्थ तथा लोहे के कारक माने जाते हैं शनि ग्रह के कारकत्व : निम्न वर्ग के कर्मचारी, दुःख, दर्द, परेशानी, अड़चनें, बीमारी, अँधेरा,चमड़ा, कोयले की खानें, सरसों का तेल, खेती बाड़ी, रसायन, मुसीबतें, खाली मकान, नौकरी, मोची.
*राहु (छाया ग्रह) :*
ज्योतिष के अनुसार असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करता है समुद्र मंथन के समय स्वरभान् नामक एक असूर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सूदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतू तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही
सिर राह और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है।।
इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है ग्रहण करने केपश्चात सूर्य राहु से और चंद्र केतु से उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं राहू को भ्रमांड का सबसे खराब ग्रह माना जाता है तथा राह शनि ग्रह की परछाई होता है जोकि शनि ग्रह रसे 4 अंश आगे चलती है इसलिए कुंडली में अशुभ राहु बहुत खराब परिणाम देता है राहु अँधेरे का कारक माना जाता है इसीलिए राहु के दान एवं उपाय सूर्यास्त के बाद ही करें तभी उपाय लाभप्रद होंगे राहू एक पारपी तथा क्रूर ग्रह है राहु ग्रह को लम्बी चलने वाली बीमारियों का कारक माना जाता है राुह ग्रह को समाज में सारी गलत क्रियाओं का कारक माना जाता है जैसे अवैध गतिविधियां, ठगी, बुरे काम, ड्रंग अडिक्शन, जुआरी, शराबी तथा लॉटरी, शेयर बाजार में नुक्सान का कारक ग्रह माना जाता है लग्न कुंडली में राहु ग्रह की स्थित जानने के बाद ही पता चलता है की आपके लिए राहु शुभ है या अशुभ राहु का दान सिर्फ तभी किया जायेगा जब लग्न कुंडली में राहु मारक (शत्रु) ग्रह बनेंगे भूल कर भी योग कारक राुह का दान एवं उपाय न करें..
*केतु ग्रह (छाया ग्रह) :*
केतु एक छाया ग्रह है जोकि मंगल ग्रह की परछाई माना जाता है केतु का मानव जीवन एवं पूरी सृष्टि पर अत्यधिक प्रभाव रहता है कुछ मनुष्यों के लिये ये ग्रह ख्याति पाने का अत्यंत सहायक रहता है। केतु भावना भौतिकीकरण के शोधन के आध्यात्मिक प्रक्रिया का प्रतीक है और हानिकर और लाभदायक, दोनों ही ओर माना जाता है, क्योंकि ये जहां एक ओर दुःख एवं हानि देता है, वहीं
दूसरी ओर एक व्यक्ति को ग्रहता तक बना सकता है यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने के लिये भौतिक हानि तक करा सकता है यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दुष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ अऔर अन्य मानसिक गु्णों का कारक केतु एक नकारात्मक ग्रह माना जाता है.
केतु को मोक्ष प्राप्ति का भी कारक माना जाता है.
केतु की दुष्टि यदि चतृर्थ भाव पर पड़े तोह विदेश में बसने का भी कारक ग्रह माना जाता है केतु बीमारियों का कारक माना जाता है जैसे रीढ़ की,हड्डियों के बीच तरलता, कैँसर, बबासीर, फोड़े फूंसी, दाँत सम्बन्धी रोग का कारक माना जाता है