फतेहपुर चौरासी उन्नाव
उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव के नगर पंचायत फतेहपुर चौरासी के निकट कल्याणी नदी तट पर हजारी बाबा आश्रम मौजूद हैं।
जहां पर लगभग 200 वर्ष पूर्व हजारी गिरी नाम के एक महात्मा रहा करते थे जिनके बारे में पूर्वज बताया करते थे वह संत बहुत ही शक्तिशाली संत थे
वह औघड़ पंथ के महात्मा थे बारिश के समय जब कल्याणी नदी भयंकर बाढ़ पर होती थी उस समय भी उनका आश्रम कल्याणी नदी में नहीं डूबता था वह महात्मा खड़ाऊ पहनकर नदी पार कर जाते थे।
एक बार की बात है रात में करीब 10: बजे के आसपास कुछ लोग रास्ता भटक गए और हजारी गिरि बाबा आश्रम पहुंच गए उस समय हजारी गिरी महाराज भोजन ग्रहण कर रहे थे ।वह औघड़ पंथ के महात्मा थे इसलिए वह मांस खा रहे थे जो व्यक्ति रास्ता भटक गए थे उन लोगों ने जब देखा महात्मा मांस खा रहे हैं तो चुपचाप वहीं पर खड़े हो गए महात्मा जी ने उनसे पूछा कैसे यहां आए हो तो वह डरते हुए बोले महाराज हम रास्ता भटक गए हैं समझ नहीं आ रहा है किधर जाएं जो घर पहुंच जाएं तो उन लोगों से महात्मा जी ने कहा आपके हाथ में कुछ कपड़ा है तो उन लोगों ने कहा जी महाराज अंगौछा है संत ने कुछ मांस के टुकड़े
डाल दिए कहा इसको बांध लो और इसे घर ले जाओ
रास्ते में खोलना नहीं घर पहुंच जाओगे ।
उस समय उन लोगों ने अंगौछा में मांस बांध लिया और वहां से जल्द घर पहुंच गए जिसमें से एक व्यक्ति घर के बाहर ही अंगौछा में बांधा हुआ मांस बाहर डाल दिया दूसरे व्यक्ति ने घर आकर खोला तो उसमें स्वर्ण था जब यह पता हुआ है कि साथ वाले व्यक्ति के द्वारा प्रसाद लाया गया स्वर्ण बन गया तो वह भी अपना
अंगौछा देखने लगा इसमें कुछ कण बचे हुए थे जो सोने के दिखाई दिए उसके बाद वह बाहर जाकर देखा जहां पर उसने मांस डाला था तो वहां कुछ नहीं मिला वह पछतावा करने लगा ।उसके कुछ समय बाद की बात है जब वहां पर लोग अपना कब्जा करने का प्रयास करते तो महात्मा जी के द्वारा उन्हें भगा दिया जाता और किसी तरह से वह जीत नहीं पाते तो लोगों ने अधिकारियों से मिलकर वहां पर महात्मा जी के खिलाफ कार्रवाई करने की बात की तो ब्रिटिश शासन के अधिकारियों ने सिपाहियों के द्वारा
महात्मा जी को बुलाया लेकिन महात्मा जी वहां पर ही जमे रहे और कहीं गए नहीं । महात्मा जी के न पहुंचने पर अधिकारियों के द्वारा सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई की बात की गई आप लोग उन्हें लेकर नहीं आ रहे हैं तो सिपाहियों ने महात्मा जी से आग्रह करके कहा कि महराज मेरी नौकरी का सवाल है आप अधिकारियों से जरूर मिल लो नहीं तो हमारी नौकरी चली जायेगी।
महात्मा जी ने कहा अपने अधिकारी से कह दो अगर उनको हमसे मिलना है तो वह यहीं आकर मिले सिपाहियों ने वैसा ही अपने अधिकारियों से कह दिया
उस समय के मौजूद अधिकारी घोड़े पर बैठकर अपने सिपाहियों को लेकर आश्रम के पास पहुंच गए महात्मा जी ने जब देखा अधिकारी घोड़े पर सवार होकर अपने सिपाहियों के साथ आश्रम की ओर आ रहा है महात्मा जी ने सोचा कि आश्रम आने से पहले आगे ही मै उनका स्वागत करता हूं। उस समय उनके पास कोई साधन सुविधा उपलब्ध नहीं थी वहां पर एक मिट्टी की कच्ची दीवार खड़ी थी जिस पर वह चढ़कर बैठ गए और उससे कहा चल अधिकारी का स्वागत करते हैं ।वह दीवार चल पड़ी और अधिकारी के पास पहुंच गई यह देख अधिकारी नत मस्तक हो गया और उन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई करने की बात नहीं की ।
और खास बात यह भी है इस आश्रम की। यहां पर बहुत सारी जगह है प्रापर्टी है उस पर जो कोई भी कब्जा करने का प्रयास कभी करता है उसका नुकसान होना शुरू हो जाता है वह कब्ज़ा छोड़ देता है चाहे वह वहां का संत हो और चाहे आसपास के लोग हो। इस आश्रम पर कोई भी व्यक्ति अपना ज्यादा समय तक अधिपत्य नहीं जमा पाता जो महात्मा यहां पर रहते थे उन्होंने इसी तरह के पूरे भारत में 1000 आश्रम बनाए जिसमें से 999 आश्रम की जानकारी अभी तक नहीं है वह कहां पर स्थित है।
वर्तमान समय में हजारीबाबा आश्रम में चमन दिख रहा फतेहपुर चौरासी ग्रामीण पूर्व प्रधान अवधेस कुमार, विधायक श्री कांत कटियार,सांसद साक्षी महाराज व अन्य सेवकों के द्वारा यहां पर भवन निर्माण व पानी पीने की व्यवस्था की गई है ।
इस समय यहां पर रह रहे राम सिंह बाबा ने आर पी एस समाचार प्रधान संपादक रघुनाथ प्रसाद शास्त्री से बताया कि बीस साल पहले से रह रहे हैं उस समय यहां पर जंगल ही जंगल था और आज जंगल समाप्त हो गया है। बाबा की कुटी भक्तों से गुलजार रहने लगी है।
रिपोर्ट आर पी एस समाचार
Author: आर पी एस न्यूज़
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